30 से 40 की उम्र में महिलाओं को इस बिमारी के होने का बड़ जाता है खतरा, जानिए क्या है लक्षण, कारण और आसान उपचार.
गोड्डा: 30 से 40 की उम्र के बीच महिलाओं को कई बार गर्भाशय में गांठ (फाइब्रॉयड) बनने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यह गांठ मटर के दाने जितनी छोटी या बड़े तरबूज जितनी बड़ी हो सकती है. फाइब्रॉयड महिलाओं में होने वाली एक सामान्य लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है. इसका मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन और आनुवांशिकी हो सकता है. हालांकि यह गांठें अक्सर कैंसर में तब्दील नहीं होती हैं, लेकिन इनके लक्षण और प्रभाव महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं.
फाइब्रॉयड के लक्षण
फाइब्रॉयड के लक्षण आमतौर पर महिलाओं को हल्के लग सकते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में यह कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं. इस समस्या के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
अत्यधिक मासिक धर्म: यह सबसे आम लक्षण है, जिसमें महिलाओं को सामान्य से अधिक रक्तस्राव होता है.
पेट और पीठ में दर्द: कई महिलाएं पेट के निचले हिस्से में और पीठ में दर्द महसूस करती हैं.
गर्भधारण में कठिनाई: फाइब्रॉयड गर्भधारण की प्रक्रिया को कठिन बना सकता है.
पेशाब में कठिनाई: बढ़ते फाइब्रॉयड के कारण मूत्राशय पर दबाव पड़ सकता है, जिससे पेशाब करने में कठिनाई होती है.
पेट में गांठ: कुछ मामलों में महिलाएं अपने पेट में गांठ या सूजन महसूस कर सकती हैं.
फाइब्रॉयड के कारण
डॉ. सुरभी कुमारी, गोड्डा की होम्योपैथिक चिकित्सकने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि फाइब्रॉयड का मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन और आनुवांशिकी है. यह हार्मोनल बदलावों के कारण उत्पन्न होते हैं, खासकर जब शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर असंतुलित हो जाता है. इसके अलावा, जिन महिलाओं के परिवार में पहले से किसी को फाइब्रॉयड की समस्या रही है, उनमें इस समस्या का खतरा अधिक हो सकता है.
फाइब्रॉयड के उपचार और प्रबंधन
फाइब्रॉयड के लक्षण हल्के हों, तो इन्हें होम्योपैथिक दवाओं से प्रबंधित किया जा सकता है. होम्योपैथी प्राकृतिक तरीके से फाइब्रॉयड को नियंत्रित करने का प्रयास करती है, जिससे शरीर को नुकसान नहीं होता. डॉ. सुरभी कुमारी के अनुसार, अगर सही समय पर फाइब्रॉयड का पता चल जाए और उपचार शुरू किया जाए, तो इसे गंभीर होने से पहले ही रोका जा सकता है.
यदि लक्षण गंभीर हों, तो मेडिकल इंटरवेंशन की आवश्यकता पड़ सकती है. आजकल कई नई तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनसे फाइब्रॉयड को सफलतापूर्वक हटाया जा सकता है. सर्जरी भी एक विकल्प है, लेकिन यह केवल तब आवश्यक होती है जब अन्य उपचार कारगर न हों.
फाइब्रॉयड से बचाव के उपाय
फाइब्रॉयड से बचने के लिए सबसे जरूरी है अपने शरीर के संकेतों को समझना और समय पर डॉक्टर से सलाह लेना. अगर मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, पेट में गांठ, या पेशाब करने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो रही हों, तो तुरंत एक अच्छे होम्योपैथिक चिकित्सक से मिलें. जितनी जल्दी इसका पता चलता है, उतना ही आसान इसका इलाज होता है.
इसके साथ ही, स्वस्थ खानपान और सही जीवनशैली अपनाने से भी फाइब्रॉयड की समस्या से बचा जा सकता है. हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त आहार लेने से शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है. नियमित व्यायाम और सही वजन बनाए रखना भी फाइब्रॉयड के खतरे को कम करने में सहायक है.
निष्कर्ष
30 से 40 की उम्र के बीच महिलाओं में फाइब्रॉयड की समस्या का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन सही समय पर इसकी पहचान और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है. अगर लक्षण हल्के हों, तो होम्योपैथिक उपचार फाइब्रॉयड को प्रभावी तरीके से नियंत्रित कर सकता है. हर महिला को अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
टैग: महिला स्वास्थ्य, आनुवंशिक रोग, गोड्डा खबर, स्वास्थ्य, स्थानीय18
पहले प्रकाशित : 12 अक्टूबर, 2024, 2:58 अपराह्न IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.