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सुलगते मणिपुर में सुलह की आहट, हिंसा के बाद पहली बार दिल्ली में मिलेंगे कुकी-मैतेई विधायक

मणिपुर में पिछले साल मई से ही जातीय हिंसा जारी है। इंफ़ाल घाटी में रहने वाले मैतेई और आस-पास की पहाड़ियों में रहने वाले कुकी-ज़ो आदिवासी समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा पूरे राज्य में फैल गई थी। अब इस मामले का समाधान जल्द हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद पहली बार मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदाय के विधायक मंगलवार को नई दिल्ली में शांति वार्ता के लिए मिलेंगे। गृह मंत्रालय की निगरानी में होने वाली इस बातचीत में नागालैंड के विधायक भी मध्यस्थता करेंगे।

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया, “कई विधायक पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं। अन्य विधायक सोमवार को पहुंचने वाले हैं। वार्ता कल होनी है। हमें नहीं पता कि बैठक में कितने कुकी विधायक मौजूद होंगे लेकिन हमें आश्वासन दिया गया है कि सभी समुदायों के विधायक मौजूद रहेंगे।” इससे पहले नागा विधायक पिछले दस महीनों में मैतेई और कुकी विधायकों से कोलकाता और गुवाहाटी जैसे जगहों पर अलग-अलग मिलते रहे हैं लेकिन यह पहली बार है जब कुकी और मैतेई विधायक एक ही छत के नीचे मिल रहे हों।

मंत्रियों ने मणिपुर के बाहर डाला है डेरा

गौरतलब है कि जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से मणिपुर के मंत्रियों सहित 10 आदिवासी विधायक राज्य की राजधानी छोड़कर दिल्ली, गुवाहाटी और कोलकाता में रह रहे हैं। अपनी जान को खतरा बताते हुए विधायकों ने इंफाल में प्रवेश करने, राजधानी में अपने कार्यालय में उपस्थित होने या राज्य विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया है। जब भी आदिवासी विधायक राज्य का दौरा करते हैं तो वे इंफाल से हवाई मार्ग से बचते हैं और मिजोरम के आइजोल के लिए उड़ान भरते हैं। इसके बाद वे सड़क मार्ग से मणिपुर के पहाड़ी जिलों की यात्रा करते हैं।

200 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर को कहा था कि गृह मंत्रालय सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहा है। राज्य में जातीय आधार पर संघर्ष जारी है जिसमें मैतेई घाटी के जिलों में रहते हैं जबकि कुकी पहाड़ी जिलों में वापस चले गए हैं। 3 मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं।

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