रीवा में लोग लक्ष्मी चरण को घर ले जा रहे हैं: जब लोगों ने इसे पहली बार देखा तो उनकी नजरें इस पर टिक गईं।
गोबर से बने दिए न केवल दीपावली के लिए एक विशेष आकर्षण हैं, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी बेहद उपयोगी हैं। इन दीयों से घर में सकारात्मकता और परमात्मा की भावना बनी रहती है, जिससे घर का मनोबल भी अच्छा होता है। दीपावली के बाद इन दीयों का उपयोग जैविक खाद में किया जा सकता है। इन्हें गार्डन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार, गोबर के दीये पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं।
रीवा की रहने वाली निशा जैसवाल गोबर से तरह-तरह के उत्पाद बनाने का काम करती हैं। इनमें हाथ से लेकर सारा सामान तैयार किया जाता है, जिसमें दीपक और माता लक्ष्मी की चरण पादुका शामिल हैं। इस बार बाजार में गोबर से बनी माता लक्ष्मी की चरण पादुका विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। निशा की टीम एक दिन में 100 चरण की पादुकाएं बनाने में सफल रही है। उन्होंने कहा, ”हमारा हर सामान इको-फ्रेंडली है। उपयोग के बाद, सजावटी दीयों का उपयोग घर की सजावट में किया जा सकता है, जबकि रंगीन-बिरंगे दीयों का उपयोग घर की सजावट में किया जा सकता है।
गोबर के दीये का महत्व
निशा ने यह भी बताया कि शास्त्रों के अनुसार गौमाता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है। वैसे, उनका लक्ष्य 25,000 दीये बनाने का है, ताकि लोग गाय के गोबर के महत्व को समझें। उन्होंने कहा कि रीवा के साथ-साथ कटनी, नागपुर और दिल्ली तक गोबर से बने दियों की बिक्री बढ़ रही है। लक्ष्मी चरण पादुका 250 रुपये में बिक रही हैं, जबकि अगरबत्तियां और दीये 60 से 70 रुपये में उपलब्ध हैं।
गोबर के दीये बनाने की प्रक्रिया
गोबर से दिये और अन्य उत्पाद बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले गाय के गोबर को एकत्र किया जाता है। फिर, करीब 2.5 किलो गोबर के पाउडर में एक किलो प्राइमिक्स और गोंद का मिश्रण होता है। यह मिट्टी की तरह अच्छा होता है हाथ से गूंधा जाता है। बृहस्पति के लिए जटा मासी, डेमोक्रेट सरसों, विशेष वृक्ष के छात्र, एलोवेरा, मेथी के बीज और इमली के बीज तत्व जैसे मिलते हैं। इस मिश्रण में 40 प्रतिशत ताज़ा और 60 प्रतिशत टिकाऊ गोबर होता है। इसके बाद, गोबर के डिक को खूबसूरत आकार दिया जाता है। एक मिनट में चार दिन तैयार किये जा सकते हैं, जिसमें दो दिन तक धूप में सुखाना के बाद विभिन्न संस्कृतियों को शामिल किया जाता है।
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पहले प्रकाशित : 27 अक्टूबर, 2024, 20:55 IST