“चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना…” नाम आंखों से गांव वालों ने मनाई आखिरी बार
अंजू गौतम, सागर: मध्य प्रदेश के सागर जिले से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित मोहली गांव में इस बार का त्योहार अनोखे तरीके से मनाया जाता है। यह गांव के इतिहास में सबसे खास और सबसे दर्दभरी है, क्योंकि यह इस गांव की आखिरी थी। रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व की सीमा में आने के कारण गांव के सभी इलाकों को अपने बसेरे-बसाए में घर मिलना होगा। इस गांव की साख हमेशा के लिए खत्म होने वाली है, लेकिन जाने से पहले पटना मोहली के लोगों ने एक साथ मिलकर इस विशेष स्मारक को बनाने का फैसला लिया।
टाइगर रिजर्व के कारण
पिछले साल पटना मोहली गांव में मूर्तिकला वाली रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व आती है, इसी वजह से सरकार ने इस गांव पर स्मारक बनाने का फैसला लिया है। इस गांव में 3200 लोग रहते हैं और यहां रहने वाले हर व्यक्ति के पास उसके जन्मस्थान से जुड़ी अनगिनत यादें और कहानियां हैं। सरकार की ओर से प्रत्येक पात्र व्यक्ति को 15 लाख रुपये का भुगतान किया गया है, लेकिन यह उनके जन्मस्थान के लिए नकदीकरण के दर्द को कम नहीं कर सकता है।
टाइगर रिज़र्व प्रबंधन ने 30 देशों को जल्द ही खाली कर दिया है, और 12 देशों को जल्दी ही खाली कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर, 92 जिलों को इस क्षेत्र से हटा दिया गया है ताकि टाइगर रिजर्व को संरक्षित किया जा सके। पटना मोहली गांव भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है और अगले कुछ महीनों में यहां का हर घर, हर गली और हर याद एक स्मृति बनकर रहेगा।
आखिरी का आयोजन
इस अंतिम स्मारक निर्माण के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन और क्षेत्रीय विधायक गोपाल टैगोर के सहयोग से एक भव्य मिलन समारोह का आयोजन किया गया। गांव के बीच में 15 फीट ऊंचे गोबर का पहाड़ बनाया गया और अन्नकूट का आयोजन हुआ। चावल, बरा, भाजी, बाटी, भर्ता और रसगुल्ले जैसे चावल, बरा, भाजी, भर्ता और रसगुल्ले जैसे स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किये गये. इस कार्यक्रम के दौरान गांव के लोगों ने अपने किस्से और यादें भी सांझा कीं, और अधिकारियों को अपने आखिरी अहाताओं के बारे में बताया।
भावनाओं का सैलाब और प्रेमिका का दर्द
जब प्रमुख गोपाल गर्ग मंच से गांव के लोगों को चिन्हित कर रहे थे, तो उनकी आंखों में भी आंसू थे। उन्होंने कहा, “चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना…”। यह गीत रिकॉर्ड ही वहां मौजूद है सभी का नाम हो गया। यह विदाई का क्षण था, जिसमें हर किसी के दिल में अपने घर से छुट्टी का साया झलक रहा था।
गांव के लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी के किस्से ऐसे ही गांव में जीते थे। इन सड़कों पर उनके बचपन से लेकर जवानी तक के हर लम्हे बसे हुए थे। उनके लिए यह गांव केवल एक स्थान नहीं था, बल्कि उनकी पहचान, उनके राष्ट्रपिता और उनके पूर्वजों का प्रतीक था।
पटना मोहली की यादें
पटना मोहली में बस यह आखिरी न केवल एक गांव की विदाई थी, बल्कि वह संस्कृति, वह परंपरा और उन अनमोल यादों का भी अंत था जो यहां से आकर बसती थी। लोग यहां के मानक, सिद्धांत, और शास्त्रीय में खेले गए बचपन को याद कर रहे थे।
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पहले प्रकाशित : 2 नवंबर, 2024, 12:41 IST