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इस सब्जी में छिपा है सेहत का खजाना, उत्तराखंड में इन दिनों खाई जा रही खूब

एजेंसी:News18 Uttarakhand

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Health tips : इसका सेवन हड्डियों को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसे लोहे की कढ़ाई में बनाने की परंपरा है.

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कई पोषक तत्वों से भरपूर है लाई की सब्जी

नैनीताल. सर्दियों का मौसम सब्जियों का मौसम है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सर्दी के सीजन में कई सब्जियां देखने को मिलती हैं, जिसमें प्रमुख सब्जी ‘लाई’ है. ये स्वाद में लाजवाब होने के साथ कई गुणों से युक्त है. लाई का साग उत्तराखंड की संस्कृति में समाहित है, जब कभी भी उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन की बात होती है तो भुनी मिर्च के साथ लाई की सब्जी और मड़ुवे की रोटी खाई जाती है. उत्तराखंड में लाई के साग को लोहे की कढ़ाई में सरसों के तेल और लाल मिर्च के साथ बनाने की परंपरा है.

धरोहर का प्रतीक

नैनीताल के डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी बताते हैं कि उत्तराखंड के पारंपरिक खानपान में लाई की सब्जी विशेष स्थान रखती है. यहां के पहाड़ी इलाकों में इसे बड़े चाव से खाया जाता है. लाई की सब्जी न केवल पहाड़ी लोगों के भोजन का हिस्सा है, बल्कि ये उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है.

प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी के अनुसार, इसे यलो मस्टर्ड, ब्राउन मस्टर्ड आदि नामों से जाना जाता है. ये लाजवाब स्वाद के साथ ही शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. इसे सरसों के तेल से लोहे की कढ़ाई में पकाया जाता है. ऐसा करने से न केवल इसके स्वाद में वृद्धि होती है, बल्कि कई पौष्टिक गुण भी बढ़ जाते हैं. सरसों का तेल और लोहे की कढ़ाई में पकाने से इसमें आयरन और ओमेगा-थ्री की मात्रा बढ़ती है, जो सेहत के लिए लाभदायक है.

कई गुणों से भरपूर

प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि लाई कई गुणों से भरपूर है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, विटामिन, फाइबर, ओमेगा-3, शुगर, प्रोटीन, सोडियम, पोटैशियम, विटामिन के अलाव कई तरह के तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ पाचन को भी सुधारता है. लाई का सेवन हड्डियों को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

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