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Every girl should learn martial arts says Ashima on international women day 2020 हर लड़की को सीखना चाहिए मार्शल आर्ट : आशिमा, लाइफस्टाइल न्यूज़

हर लड़की के मन में ये मलाल जरूर होगा कि वे अपने साथ छेड़छाड़ करने वाले अपराधी का मौके पर जोरदार विरोध नहीं कर पाईं। लड़कियों के मन में ऐसा मलाल न रह जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए 26 वर्षीया आशिमा बत्रा उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं। इस काम में दिल्ली पुलिस भी उनका सहयोग कर रही है।

आत्मरक्षा के व्यावहारिक गुर सिखाने का यह सिलसिला आशिमा ने साल 2016 में शुरू किया था।दिल्ली-एनसीआर में लड़कियों के साथ लगातार हो रहे अपराधों के चलते उनका मन बेहद विचलित था। वह बताती हैं, ‘मुझे लगा, मैं इस तरह डर-डरकर नहीं जी सकती।

मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेने के लिए मैं फुकेट गई। वहां के मशहूर मार्शल आर्ट सेंटर ‘टाइगर माय थाई’ से मैंने प्रशिक्षण लिया। माय थाई, वेस्टर्न बॉक्सिंग, किक बॉक्सिंग और नाइफ फॉम्र्स (चाकू चलाने की कला) आदि सीखे। वहां से वापस आने के बाद भी मैंने अभ्यास जारी रखा।

नोएडा स्थित मार्शल आर्ट के मशहूर बौद्ध केंद्र, शाओलिन टेंपल (नोएडा) से भी प्रशिक्षण लिया। ‘क्रॉसट्रेन फाइट क्लब’ जैसे मार्शल आर्ट क्लब्स से भी जुड़ी। मुझे लगा कि यह एक ऐसी कला है, जिसमें हर लड़की को पारंगत होना चाहिए। इसके बाद मैं कुछ संस्थाओं के साथ जुड़कर मार्शल आर्ट प्रशिक्षण देने लगी।’

इस बीच एक कार्यक्रम में आशिमा की मुलाकात दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से हुई। उन्हें उनका मार्शल आर्ट सिखाने का तरीका पसंद आया। उनसे मिलने के बाद आशिमा को पता लगा कि दिल्ली पुलिस ने शहर के 20 पुलिस स्टेशन में  ‘स्पेशल पुलिस फॉर वीमेन एंड चिल्ड्रेन’की सेवा शुरू की है। उन्होंने आशिमा को इस सेवा के तहत अपने साथ जुड़ने का मौका दिया। उनके साथ जुड़ने के बाद से वह लगातार दिल्ली के कॉलेजों, कॉरपोरेट कंपनियों, स्कूल-कॉलेजों में आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं। इसमें उन्हें पुलिस की स्पेशल पुलिस यूनिट से पूरा सहयोग मिलता है। जहां वह जाती हैं, वहां के एसएचओ/डीजीपी भी कार्यक्रम में मौजूद रहते हैं।

साथ ही, कुछ महिला पुलिस अधिकारी भी रहती हैं। अब तक वह मैत्रेयी कॉलेज, डेल्ही कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स जैसे कॉलेजों, बाल भारती, नेहरू इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल जैसे स्कूलों और यूनाइटेडलेक्स, किंडल जैसी कॉरपोरेट कंपनियों में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।

आशिमा कहती हैं, ‘छेड़छाड़ के ज्यादातर मौकों पर पंच या किक जैसी परंपरागत मार्शल आर्ट तकनीकों का इस्तेमाल संभव नहीं होता है। ऐसे में व्यावहारिक तकनीकें काम आती हैं। इनमें काटना, नोचना, आंख पर वार करना, गले पर वार करना आदि तकनीकें आती हैं।

चेहरा बचाने की ‘फ्लिंज गार्ड’ जैसी तकनीक भी इसमें शामिल है। जो लोग नियमित रूप से आत्म रक्षा तकनीक का प्रशिक्षण लेते हैं, उनमें एक सहज फुर्ती अभ्यास से आ जाती है। पेन या चाबी जैसी चीजों को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।’

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