
बिहार पॉलिटिक्स: नीतीश को ‘ना’ की जिद पर क्यों टिकी उम्र, क्या है बड़ी वजह? सुंदरता के अँधेरे की खबर जानिये
आखरी अपडेट:
बिहार राजनीति समाचार: बिहार में दो दिन में ही तीन बड़े बयान आए…एक नीतीश कुमार के लिए राजद और जदयू परिवार के आम आदमी पार्टी के दरवाजे खुले रहने का, दूसरे तेजतर्रार यादव के सीएम नीतीश को समर्थन में नहीं आए का, तीसरे मनोज झा…और पढ़ें

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो)
उत्तर
- तेजतर्रार यादव ने नीतीश कुमार को अपने साथी की बात तवज्जो क्यों नहीं दी?
- प्रसाद प्रसाद यादव के नीतीश कुमार ने युवाओं को ऑफर देने से इनकार क्यों किया?
- क्या युवा यादव किसी खास रणनीति पर चल रहे हैं, आखिर क्या है उनका ब्लू प्रिंट?
पटना. बिहार की राजनीति कब क्या मोड़ ले ले कोई नहीं जानता. यही कारण है कि हमेशा राजनीतिक बदलाव लेकर बिहार में अटकलबाजियां चलती रहती हैं। एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थकों में जाने की समर्थकों ने सस्पेक्ट गलियारों में गर्माहट ला दी और इस पर खूब चर्चा हुई। लेकिन, अविश्वासी प्रसाद यादव की पेशकश और मीसा भारती के समर्थन के बाद स्टोक्स की खबरों में कहा गया है कि जो अनुयायी मिले, उन्होंने खुद को ठंडा कर दिया। असल में, लगभग एक महीने से बिहार में ‘सियासी खेला’ हो रहा था और नीतीश कुमार के फिर से पाला खबर की खबरों से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई थी। लेकिन, तेजस्वी यादव ने मंगलवार (14 जनवरी) को मकर संक्रांति के दिन प्रभात से बात करते हुए कहा कि बिहार में अब कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है और हम लोग सीधे चुनाव में जा रहे हैं। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई भी कुछ सोच रहा है कि कुछ हो रहा है तो अब बिल्कुल सही नहीं हो रहा है।
जाहिर तौर पर ऐसा कहा जाता है कि वामपंथी यादव ने नीतीश कुमार को जो ऑफर दिया था, उसे तेजस्वी यादव ने एक शेयर से खारिज कर दिया। इसी बीच रविवार को एक और बयान साउदीमी के साम्यवादी मनोज झा का आया। उन्होंने तेजस्वी यादव की ही बात को आगे बढ़ते हुए साफा पर कहा कि बिहार में किसी भी तरह का कोई खेल नहीं हो रहा है. मनोज झा ने यह भी बताया कि युवा यादव नए ब्लूप्रिंट पर काम एक साल पहले ही कर रहे हैं तेरहवीं यादव स्वयं ने इसकी घोषणा की. मनोज झा ने मीसा भारती के नीतीश कुमार के लिए कही ये बात, कहा- मकर संक्रांति पर कड़वी बात नहीं की जाती. स्पष्ट रूप से है भोलानाथ के दावों से ये बातें बहुत ही गहरी हैं जिनमें राजनीति के लोग अपनी-अपनी दृष्टि से असंबद्ध हैं।
असोसिएशन का स्ट्रेटेजिकल मूव!
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि तेजस्वी यादव के जिस ब्लूप्रिंट की बात मनोज झा कर रहे हैं, वह तो सामने आ रहा है, लेकिन अंदर जो ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है वह राजद की रणनीति का हिस्सा है। भरोसेमंद नीतीश कुमार को ट्रस्ट के परिवार से ही मिला तीन ऑफर… मीसा भारती नीतीश कुमार को अभिभावक बताया और तेज प्रताप यादव ने भी कहा कि घर जो भी आएगा उनका स्वागत होगा….ऐसी विचारधारा को सार्वजनिक किया गया. वहीं, दूसरी ओर तेज तर्रार यादव ने नीतीश कुमार को अपने साथी के साथ छोड़ दिया। दरअसल, ये दोनों ही सोची-समझी राजनीति का हिस्सा हैं।
जनता के जहां में युवा जोश की बात!
सच्चा, एक तरफ तो भरोसेमंद परिवार यह दिखाना चाहता है कि नीतीश कुमार के प्रति उनकी सहानुभूति अब भी है. कोशिश है कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि यूनिवर्सिटी परिवार हमेशा अपने साथ लेना चाहता है और सम्मान देना चाहता है। यह एक रणनीति का हिस्सा है. वहीं, दूसरी ओर किशोर यादव नीतीश कुमार के टायर्ड होने की बात को स्पष्ट करते हुए दूरी तय करते हैं। युवा यादव नीतीश कुमार को थके हारे अकेले जनता के जहां में यह देना चाहते हैं कि अब नीतीश कुमार बिहार से नहीं चलने वाले हैं, युवा जोश पर भरोसा रखें जनता। जाहिर तौर पर जनता के मन में एक बात से सेट करने की कोशिश है कि हम यानी दलित और संतुलित परिवार नीतीश कुमार भी हैं, लेकिन अब भविष्य तो युवा यादव का ही है।
भविष्य में भविष्य देखने वाली जनता!
रवि उपाध्याय कहते हैं, युवा यादव युवा हैं और उनकी उम्र 34 साल है। राजनीति में 2013 से आ गए हैं और अब लगभग 11 साल का अनुभव उनका हो चुका है। जाहिर तौर पर किशोर यादव ने इस दौरान दो-सरकारों के सिद्धांत को देखा है। पूरा बिहार घूम रहे हैं. इस दौरान उनका अनुभव भी बहुत अच्छा रहा. पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में जिस तरह से उन्होंने फॉर्म बनाया था, उससे उनके समर्थकों की भी इतनी ताकत बढ़ गई है कि वह खुद ही देख लेने की बातें करते हैं। कई मसलों पर कच्चे यादव भी कहते हैं कि तेजस्वी यादव ही जो चाहेगा, जो चाहेगा। जाहिर तौर पर राजद का भी भविष्य तेजस्वी यादव हैं और उनके समर्थक भी तेजस्वी यादव बिहार का भविष्य देखते हैं। ऐसे में नीतीश कुमार को ‘ना’ कहना ‘तेज की रणनीति’ भी है.
वर्ष में लें जोखिम क्यों?
रवि उपाध्याय की नजरों में एक बड़ी वजह यह है कि, अगर मैं दोस्त हूं कि राजद-जेडयू की सरकार बनने के बाद सूरत भी आ जाए और नीतीश कुमार के दोस्त भी साथ हो जाएं, तो फिर क्या तेजस्वी यादव मुख्य मंत्री बने? स्पष्ट रूप से इसका सीधा सा उत्तर है कि जब तक नीतीश कुमार तब तक हैं तो यह संभावना नहीं है। अब जब नोएडा ने भी साफ कर दिया है कि ‘2025 से 2030… एक बार नीतीश’…ऐसे में साफ है कि तेज यादव ने अगर उम्मीद जताई थी कि वह नीतीश कुमार के सीएम हो सकते हैं, तो यह भी बताएं है. अभिनेत्रियों के नेताओं के लिए तो नीतीश का ये मैसेज है ही. ऐसे में शुरुआती यादव अब दयालु इस साल चुनावी माहौल में ऐसा जोखिम क्यों?
आख़िर क्यों?
वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा कहते हैं, ‘बेशक, तेजस्वी यादव भी जान चुके हैं कि कैसे राजनीति करते हैं।’ वह नीतीश कुमार को अपने राजनीतिक गुरु नियुक्त कर रहे हैं और हमेशा सम्मान देने की बात करते हैं। लेकिन, कटाक्ष करने का और तंज कसने का भी कोई मौका नहीं है युवा यादव। टायर्ड- मीडिया वाली बात में कहा गया है कि तेज यादव और नितेश कुमार अगर उनके साथ आ जाएं तो फाइनलिस्ट क्या है? ना तो मुख्यमंत्री का पद जाएगा और नेशनल नेशनल इंकंबेंसी अगर नीतीश कुमार की होगी तो उनके समर्थक भी उन्हें उठा लेंगे। दूसरी सामने मजबूत भाजपा है जो इस पार्टी को किसी भी तरह से खोना नहीं चाहेगी।
छात्रावास की स्थिति से चिंता का विषय
सिद्धांत के रणनीतिक सिद्धांत: यही सोच रहे हैं कि सुपरमार्केट के अंदर भी दो ढांचों की स्थिति है। कभी भी एकमुश्त रेस्तरां का पूरा कुनबा राजद के साथ पूरे मन से तो नहीं आना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य की स्थिति हो या केंद्र में दिखने का, नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार में बने रहने की स्थिति में भी युवा यादव या अध्यक्ष को कुछ भी हासिल नहीं हो पाएगा। क्योंकि, नामांकन वर्ष में अगर युवाओं से अलग-अलग ब्लूटूथ की सरकार होगी तो विकास की सूची भी रिकॉर्डगी, जिसका ठीकरा यादव या नीतीश कुमार के मित्र ही फूटेगा। जनता तो जानती है वह काफी सोच समझकर निर्णय लेती है।
नट का अपमान नहीं सम्मान!
अशोक शर्मा कहते हैं कि मसाला यह है कि विश्वविद्यालय परिवार हरदम चाहता है कि वह नीतीश कुमार को सम्मान दे। विश्वास प्रसाद यादव ने अपने दरवाजे खुले होने की बात और ऑफर तक दे दिया। इसके बाद मीसा भारती ने अपने अभिभावक गारजियन को भी बताया और यह भी कहा कि कॉलेज को शपथ नहीं दी गयी। निश्चित रूप से यह सिंपैथी संग्रहने की राजद की रणनीति है। युवा यादव भी बार-बार कहते हैं कि वह नीतीश कुमार का बहुत सम्मान करते हैं। यह उस वोट बैंक की सहानुभूति पाने की भी ललक है, जिस पर रणनीति बनाकर यादव बने हुए दिख रहे हैं।
जातिगत गोटी सेट करने में अंतिम भाग
अशोक के शब्दों में, ऐसे भी समझिए कि युवा यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव में एक प्रयोग किया था कि कुमार कुशवाहा जाति को राजद से जोड़ा जाए। नीतीश कुमार के इस वोट बैंक पर उन्होंने काफी हद तक प्रभाव डाला. अब धानुक और कुर्मी नेता भी अपने साथ मिलाने की दुकान में लग गये। प्रशांत हाल ही में शामिल हुए हैं जो कि कुर्मी समाज से आए हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला कुमार छात्रावास से आए हैं। वहीं, आगामी 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर मंगनी लाल मंडल जो कि धानुक समाज से आए हैं, उनके साथ भी राजद के समर्थकों के मंदिर जा रहे हैं।
इन्तेजार करो दंगल का
जाहिर तौर पर लोकसभा चुनाव में उन्होंने कार्ड गेम खेला था जो बहुत ही जबरदस्त तरीके से प्रभावित हुआ था। अब धानुक और कुर्मी के दिग्गजों का गठबंधन उस गठबंधन को पटना ही नहीं, बल्कि अपने पक्ष में बड़ा करना चाहते हैं, जिसमें 2020 के विधानसभा चुनाव परिणामों में सामान्य 11 नामांकन के अंतर से सत्य से दूर रह गए थे। सोसाईटी, अब ते नीतीश कुमार को ‘ना’ पर लगभग मार्क लग गया है और युवा यादव की रणनीति आगे बढ़ गई है। इस बीच अविश्वसनीय यादव भी सक्रिय हैं और जातिगत गोटी सेट करने में अभी से लग गए हैं। दूसरी ओर ऍफ़ असामाधित सामान में अपने अभियान पर चल रहा है। अब बिहार की बैलेन्स में एनालॉग फ्लेक्स का डिविजन भी कम हो गया है, ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव के दंगल का इंतजार करिए।पटना के हॉस्पिटल और डॉक्टर्स के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें…
जनवरी 15, 2025, 18:11 IST