बिहार

ऐसे करें धान की गुणवत्ता, कम लागत में होगा बंपर रिवॉर्ड, मूल्यांकित ने डॉक्युमेंट्री राज

जहानाबाद जिले में धान की खेती के लिए 45 हजार हेक्टेयर भूमि का भुगतान किया गया है। हालाँकि, बारिश में कमी के कारण बारिश में देरी हुई थी। किसानों ने डीजल और बिजली के माध्यम से सीना कर धान की बर्बादी की।

लेकिन, सही तकनीक और तकनीक के कारण उपजी में कमी आ रही है। ऐसे में किसानों के लिए कम लागत में अधिक लोन के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।

धान की खेती के लिए सही तकनीक:

1. स्वस्थ बिचड़ा ओबना: धान की बेहतर खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है स्वस्थ बिचड़ा ओबना। कृषि विज्ञान केंद्र गंधहार के फसल वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार, अगर बिचड़ा मजबूत होगा तो खेती बेहतर होगी। किसान भाईयों को सही तकनीक से बिचड़ा ओबने की जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे उनकी उपज में सुधार हो सके।

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2. मिट्टी का सही उपयोग: मिट्टी की खेती के लिए मिट्टी के तीन प्रकार – भौतिक, जैविक, और रासायनिक – को शामिल करना आवश्यक है। इनका प्रयोग सही अनुपात में करके किया जा सकता है। अभी तक अधिकांश किसान रासायनिक रसायनों का उपयोग ही किया जाता है, जबकि जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग बहुत कम होता है। मिट्टी की जांच दस्तावेजों के अनुसार उसका फर्टिलाइजर का प्रयोग करना चाहिए।

3. दूरी का ध्यान: धान की दूरी के बीच दूरी बनाए रखना जरूरी है। अधिक खोजों से पता चलता है कि कलियों की संख्या कम हो जाती है, बालियाँ छोटी होती हैं, और वस्तुएं प्रभावित होती हैं। इसलिए, बीमारी के समय की दूरी का ध्यान रखना चाहिए और सलाह लेनी चाहिए।

4. फर्टिलाइजर का सही उपयोग: यदि मिट्टी की जांच नहीं की गई है, तो एक ओकन लैंड में 45 से 50 किलो डीएपी, 25 से 30 किलो पोटाश, और 70 से 75 किलो पोटाश का उपयोग किया जा सकता है। 3 चरण में सॉसेज का उपयोग करना चाहिए:

15 से 20 प्रतिशत तापमान जमीन तैयार करने का समय।
40 प्रतिशत 30 दिन बाद चावल के पौधे।
शेष 20 से 25 प्रतिशत तापमान 60 से 70 दिन बाद।

5. पर्यावरण और मिट्टी का संरक्षण: अधिक तापमान के उपयोग से न केवल नुकसान होता है, बल्कि उपज में भी कमी आती है। इसलिए, पारंपरिक सिद्धांत के सिद्धांत का पालन करें और अधिक उत्पाद के लिए वैज्ञानिक वैज्ञानिकों को अपनाएं। यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी स्वस्थ रहे और उत्पाद और गुणवत्ता पूर्ण हो।

इन सुझावों का पालन करके किसान कम लागत में बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।

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