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US Fed slashed interest rates by 50bps after 4 years 4 साल का इंतजार हुआ खत्म, फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में की 50bps की कटौती, जानें क्या होगा आप पर असर, बिज़नेस न्यूज़

अमेरिकी फेड बैठक अपडेट: यूएस फेडरल रिजर्व ने आखिरकार ब्याज दरों में कटौती कर दी है। जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) की अध्यक्षता में हुई दो दिवसीय फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) की बैठक में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला किया गया। 4 साल के बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की है। कुल 12 सदस्यों में 11 ने कटौती के पक्ष में वोट किया है। जबकि एक वोट विपक्ष में पड़ा है। बता दें, मार्च 2020 में आखिरी बार फेड रिजर्व ने ब्याज दरों की कटौती किया था। तब कोविड-19 की महामारी से जूझ रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए वहां के सेंट्रल बैंक ने कटौती की थी।

50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती के बाद अब अमेरिका में ब्याज दर घटकर 4.75 प्रतिशत से 5 प्रतिशत हो गया है। जोकि इससे पहले 5.25 प्रतिशत से 5.50 प्रतिशत तक पहुंच गया था। बता दें, अमेरिका में एक महीने बाद राष्ट्रपति का चुनाव का होना है। जहां डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर है।

2022 से ब्याज दरों में हो रही थी बढ़ोतरी

2022 से बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया। कोविड-19 के बाद और यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ा था। जिसकी वजह से अमेरिकी में महंगाई ने लोगों को परेशान कर दिया। इसी वजह से फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया। लेकिन अब महंगाई घट रही है। यूएस इकोनॉमी ग्रोथ कर रही है। जिसकी वजह से ब्याज दरों में कटौती का फैसला किया गया।

लगातार 12वें महीने नहीं हुआ था कोई बदलाव

2024 में इससे पहले जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता में 5वीं बार 31 जुलाई 2024 को फेडरल ओपन मार्केट कमिटी की मीटिंग समाप्त हुई थी। तब लगातार 12वें महीने में अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था। जिसकी वजह से ब्याज दरें 23 साल के उच्चतम स्तर पर थीं। अमेरिका के सेंट्रल बैंक की यह सारा प्रयास महंगाई को नियंत्रित करने के लिए हो रहा था। बता दें, जुलाई 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था।

आप पर क्या होगा असर?

ब्याज दरो में कटौती का असर शेयर बाजार से गोल्ड मार्केट तक देखने को मिल सकता है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि शेयर बाजार और गोल्ड में तेजी देखने को मिल सकती है। वहीं, डॉलर पर दबाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इससे रुपया मजबूत हो सकता है। ऐसे में एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों पर फेडरल रिजर्व का फैसला नकरात्मक असर डालता हुआ दिखाई दे सकता है। फार्मा से लेकर आईटी सेक्टर की कंपनियों पर नजर बनाए रखनी होगी।

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