क्राइम

ग्राफ़िक दस्तावेज़ दस्तावेज़ और…स्टैंड कर दिया 100 करोड़ का एम्पायर, शेयर इतनी बड़ी 5 साल से बढ़त में नहीं आया

नई दिल्ली. द फ़्लाइली प्लेयर्स पुलास ने हाल ही में एक नकली फ़्रिज फ़्रांसीसी को पकड़ा था। इस फ़ैक्टरी का माँ कलाकारमाइंड मनोज मोंगा को पुलीस ने एयरपोर्ट से अरे दादा कहा था। मनोज मोंगा की गरीबी से अमीर बनने की कहानी धोखा, लालच और विश्राम वासघाट से भरी हुई है। मनोज मोंगा ने बैनर बनाने का काम किया था और देखते ही देखते उन्होंने 100 करोड़ रुपये की कमाई कर दी। मनोज मोंगा ने क्राइम से कयामत की तरह पैसा कमाया हो लेकन उनकी परवार फिल्म द गर्ल के टी लक नगर में एक साधारण परी फिल्म की तरह जिंदगी जीती है। मनोज मोंगा ने 5 साल की दिल्ली पुलास के साथ चूहे-बाले का खेल खत्म कर दिया।

द फ़्लाईली फ़्लाइ पुलस को मनोज मोंगा के टी इलक नगर वाले घर से फ़र्ज़ी वज़ीर बिज़नेस का कोई सबूत नहीं मिला है। पुलास को मोंगा के ठकाने में एक विशाल हॉल में सैकड़ों स्टांप, कई कागज और जरूरी स्टेशनरी का सामान मिला। बताया जा रहा है कि किस तरह का मोंगा अलग है- अलग-अलग देशों के वजीरों के डिजाइन आपके पास्टिस्ट तक पहुंच गए हैं, जैसे कि किसी की कसी कसी कथ्य की डिमांड, वह फोटोशॉप और कोरल इंस्टा पर आए थे, जैसे कि उनकी मदद से उनके ल्ये फेफुअल वजीर बने। कैसी को उसके काले कारनामों के बारे में पता चला कि मोंगा में क्या खास है, इस साल उसने अपने मेन वर्क स्टूडियो का निर्माण किया था और वह अपनी प्रतिष्ठा में फर्म इंजीनियर बनी थी।

वज़ीर फ़ैक्टरी रेज़्यूमे का कोर्स
पुलिस के अनुसार, मुख्यमंत्री मोंगा ने एक प्राइवेट कॉलेज से ग्राफिक डी फाईजाइन का कोर्स करवाया था। इस मामले में जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर मदन लाल ने बताया कि एक साधारण परिवार से ज क्युकी पटानी टीचर है और अपने दो बच्चों के साथ ट्रिक नगर में रहती है। मोंगा का बेटा दिल्ली के कॉलेज में पढ़ रहा है, उसकी बेटी जर्मनी में है। जहां उनका खर्चा लोन चल रहा है. इसलिए जब पुलीस ने घर पर छाप मारा तो पहले तो परवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया और टुकड़े कुछ समझ में ही नहीं आए।

फ़्रांसीसी शहर में प्रवेश द्वार?
बताया जा रहा है कि हर महीने 20-30 नकली इंजीनियर अपने ऑनलाइन वेबसाइट के लिए जाते थे। उस फ़ायदेमंद वीर की कीमत मोंगा अपने पिता की मजबूरी और ज़रूरत के हिसाब से तय करती थी। मोंगा ने जब बैनर बनाने का काम किया था, तो हर बैनर पर लगभग 5000 रुपये की कमाई थी। उस दौरान वो फ़र्ज़ी वर्जिन बनाने वाले प्लास्टिक के कॉन फ्लिपकार्ट में आ गए। उन्होंने मोंगा को बताया कि एक मास्टर से कम से कम 1 लाख रुपये मिल सकते हैं। कमाई के लालच में ग्यान मोंगा क्राइम की दुनिया में प्रवेश किया गया।

कश्ती संगीतमय शैली थी एरे स्टार्सिंग
पुलीस ने मोंगा को अरे मद्रास करने से पहले 15 दिनों तक मामले की जांच की। मोंगा के समान सबसे बड़ी डॉक्यूमेंट्री यह थी क फ़ोन वो सफ़ाई एक ही प्रयोग करता था. ये फोन ही रहता था लेक ने जब उसे अपने कामर्स से बात करनी थी तो उसने फोन किया था और बातचीत के बाद डेविस को फिर से बंद कर दिया था। इस कारण पुल लाइक्स के ट्रैक पर काफी म्यूजिकल फाइल थी। पुलीस ने उसे तबबेल गारफ़्टार काइया जब उसके एक राजभवन को हिरासत में लिया। उस शख्स ने मोंगा को फोन करके 15 फर्जी लग्जरी मेकिंग का ऑर्डर दिया। जब वह इंजीनियर साख लेबल वो फ़ारिगर वीर लेने के लया मोंगा के ठाकाने गया पर तब पुल चियास ने उसकी ठ पक्कान पर रेड मारी। जहां पुलिस को उसके ख़िलाफ कई सबूत मिले. पुलीस ने इस मामले में 150 से अधिक फर्जी फर्मों को गिरफ्तार किया है। वहीं मोंगा ने हवाईअड्डे से उड़ान भरने की योजना बनाई।

एक अध्ययन के मुताबिक, बताया जा रहा है कि 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कमाई की पूरी मोंगा ने पक्की कहानी के बारे में बताया। पुलिस अब इन माहिर बनाने वाली फैक्ट्रियों को खत्म करने को लेकर प्लायन बना रही है। वहीं एयरपोर्ट दस्तावेज़ीकरण का सुरक्षा विभाग विश्वासपात्र से मूल्यांकन के लिए अपने वॉटरमार्क डिटेक्शन को अक्सर अपडेट करता रहता है। हालाँकि, अपराधी अब हाईटेक टेकन इंजीनियर का इस्तेमाल करते हैं और एक अच्छे उत्पाद, रबर स्टैम्प का इस्तेमाल करते हैं। पुलिस का कहना है कि फर्जी सरदारों को पकड़ना अब एक बड़ी चुनौती है।

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