राष्ट्रीय

शंकराचार्य के गौ रक्षकों के काफिले को अरुणाचल, नागालैंड में नहीं मिली एंट्री

पूर्वोत्तर राज्यों में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करने वाले शंकराचार्य और उनके ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ दल को गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में घुसने से रोक दिया गया है। इस अभियान की वजह से संभावित सार्वजनिक अशांति और विरोध प्रदर्शनों की आशंका के चलते यह कदम उठाया गया है। इससे पहले यहां नागा छात्र संघ ने कोहिमा में यात्रा का विरोध किया और आगे बड़े विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी थी।

गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का पहला पड़ाव बीजेपी शासित अरुणाचल था लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें होलोंगी के डोनी पोलो हवाई अड्डे पर रोक दिया और उनसे वापस लौटने की अपील की गई। इजाजत ना मिलने के बाद उनका चार्टर्ड विमान नागालैंड के दीमापुर में उतरा जहां शंकराचार्य को हवाई अड्डे के वीआईपी लाउंज में कुछ मिनट बिताने के बाद गुवाहाटी लौटने के लिए कहा गया। कोहिमा में 28 सितंबर को होने वाली यात्रा के लिए भी इजाजत नहीं दी गई।

कैबिनेट स्तर पर लिया गया फैसला

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शंकराचार्य ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की और इस फैसले का स्पष्टीकरण मांग रहे थे कि वे आगे क्यों नहीं बढ़ सकते। बाद में शंकराचार्य को बताया गया कि यह फैसला कैबिनेट स्तर पर लिया गया है और प्रशासन सिर्फ इसे लागू कर रहा था। बीजेपी नागालैंड में गठबंधन सरकार का हिस्सा है।

सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने की आशंका

इस मामले पर चुमौकेदिमा जिले के डीसी पोलन जॉन ने कहा, “हमें निर्देश दिया गया था कि उन्हें एयरपोर्ट से बाहर ना जाने दिया जाए।” वहीं दीमापुर के पुलिस कमिश्नर केविथुटो सोफी ने इस संबंध में 12 सितंबर को राज्य सरकार के निर्देश का हवाला दिया है। सोफी ने कहा, “यात्रा के कारण सार्वजनिक व्यवस्था में संभावित गड़बड़ी की आशंका थी।

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