मुज़फ्फरनगर समाचार: यूपी के इस होनहार छात्र ने सुप्रीम कोर्ट से मिला जादू, पढ़ें आईआईटी में, मोहित कर देवी ये खबर
मुज़फ़्फ़रनगर. उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर स्थित टिटोडा गांव के निवासी अतुल के नाम के एक छात्र को डीकैल डिफेंस में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की सीट के चारों ओर जंगल में उग आया था लेकिन गरीबी के कारण वह समय पर फीस जमा नहीं कर पाया तो छात्र नहीं हो पाया था। बताया जा रहा था कि अतुल के परिवार ने 17500 रुपये का फेसबुक अकाउंट तो किसी तरह से ले लिया था, लेकिन पिछली बार कॉलेज की वेबसाइट ऑटोमेटेकली पर भारी आउट हो गया था, जिसके चलते अतुल का 17500 रुपये का ऑफर नहीं मिला था। समकक्ष लेकर अतुल पहले झारखंड और मद्रास हाई कोर्ट गए थे लेकिन वहां से कोई जादुई नहीं मिल पाया लेकिन अतुल और उनके बंगले ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां से आज फैसला छात्र अतुल कुमार के पक्ष में आया है।
न्यायालय सुप्रीम से न्याय बैठक के बाद टिटोडा गांव में अतुल के घर पर जोरदार जश्न मनाया गया। ढोल नगाड़ों के साथ सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद के नारे लगाए गए अवशेषों ने एक दूसरे प्यारे खिलाड़ी की अपनी खुशी का इजहार किया। इस दौरान छात्र अतुल कुमार के भाई अमित कुमार ने कहा कि पूरा गांव बहुत खुश है. मेरा भाई अब पढ़ाई में शामिल होना चाहता है। यह सभी गांववासियों के लिए बहुत गर्व की बात है। पहले फ़ेस जमा नहीं होने के कारण उसका ग्राहक नहीं मिल पाया था। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के शरण ली थे।
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फ़ेसबुक के कारण समय लग गया
अमित कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका पर फैसला हमारा पक्ष आया है. पूरा गांव सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद कर रहा है। हम गरीब परिवार से हैं. इतना फ़ेस का डिज़ाइन करना बहुत कठिन था, इसके लिए हमें समय लग गया। अब आगे की पढ़ाई भी करनी है. वहीं अतुल की मां राजेश देवी ने कहा कि आज का दिन यादगार है. पूरा गांव खुश है. हम सबसे पहले आंध्र प्रदेश फिर से मद्रास उच्च न्यायालय गये थे। इसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गये। अपनी बात राख और जजमेंट से मिला है।
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कोर्ट सुप्रीमो ने की चादरपोशी, पूरे गांव में जमान का मोहरा
इस बारे में छात्र अतुल के पड़ोसी संतराम ने बताया कि अतुल कुमार ने इतिहास रचा है। बच्चों से पढ़ाई करने के लिए उसने जो सपना देखा था, पूरा वह करेगा। ये गरीब लोग हैं, बेईमानी का करना मुश्किल था, जैसे तैसे फीस जमा हो पाई तो कॉलेज ने कहा कि स्टूडेंट देने से मना कर दिया। इसके बाद अब सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उसके स्मारक को ध्वस्त कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. हमें बहुत ख़ुशी है. दोस्तों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। बहुत मेहनत करते हुए यह कहाँ पाया गया है।
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पहले प्रकाशित : 1 अक्टूबर, 2024, 24:24 IST