महाराष्ट्र

सरकार ‘विषन्या’ जैसी होती है…नितंबर ने नागपुर में ऐसा क्या कहा, जो हो रहे चर्चे

मंत्री बोयंती का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार की ‘लड़की बहिन योजना’ से अन्य सेक्टरों की केंद्रीय बैठकें प्रभावित होंगी। उन्होंने नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह बात तय नहीं है कि पिज्जा को उनके सीमांत समय पर मिल स्टॉक में रखा जाना चाहिए क्योंकि सरकार को लड़की बहिन योजना के लिए भी फंड देना है।’ सड़क परिवहन मंत्री ने विदर्भ के डिप्लोमा से संवाद में कहा कि आंत्रप्रेन्योर्स को निवेश के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि सब कुछ सरकार पर ही नहीं हटाया जा सकता। यही नहीं उन्होंने सरकार को ‘विषेकन्या’ जैसा बताया।

उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार किस पार्टी की है, बल्कि वह विषकन्या जैसी ही है। उनके इस कथन को स्वीकार करते हुए उन्होंने हाथ मिलाया और महाराष्ट्र सरकार को प्रदेश की आर्थिक सेहत को लेकर घेरना शुरू कर दिया। यूवी सेना और गर्लफ्रेंड शरद पवार ने कहा कि अगर सरकार के लोग ही आर्थिक रूप से स्वस्थ्य को लेकर चेता रहे हैं तो यह चिंता की बात है। नोनितीन चौधरी ने कहा, ‘मेरी राय है कि सरकार किसी की भी हो या किसी भी पार्टी की हो, वह दूर ही रहे।’ इसके आगे भी मीरा ने अजीब अंदाज में कहा, ‘सरकार विषकन्या की तरह है, जिसके साथ भी होती है, उसका नाश कर देती है।’ इसलिए इस मामले में मत पढ़ो।’

उन्होंने दस्तावेज़ से कहा कि आपकी रियायती मान्यता कायम नहीं है। क्रिश्चियन ने कहा, ‘यदि आपको विविधताएं मिलती हैं तो उसे लें, लेकिन यह विश्वसनीय नहीं है कि वह वहां जाएगा। अब जबकि बालिका बहिन योजना की शुरुआत हो चुकी है तो सरकार को अनुदान का उपयोग वहां भी किया जा रहा है।’ बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की 21 से 65 साल तक की महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये देने का वादा किया है। यह स्कीम उन महिलाओं के लिए होगी, जहां परिवार की कमाई 2.5 लाख रुपये से कम है।

इस श्लोक का लेबल विधान सभा चुनाव से पहले ठीक हो गया है। वित्त विभाग का अनुमान है कि इस योजना पर महाराष्ट्र सरकार का अनुमान 46000 करोड़ रुपये खर्च होगा। अबोनिबोस्तो की ओर से नीचे दिए गए बयान पर कैथोलिक ने तंज कसा है। संजय बैतूल ने कहा, ‘नितिन खन्ना ने सही सवाल उठाया है। अगर ऐसे समय में फंड का बेजा इस्तेमाल होता है, जब सरकार के पास पैसे की कमी होती है और बाकी शेयरों का फायदा होता है तो केंद्र सरकार की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। बता दें कि पिछले दिनों बीजेपी नेता टेकचंद सावरकर ने भी इस स्कॉल को लेकर कहा था कि ये महिलाओं के लिए जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा है.

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