मध्यप्रदेश

एनआईटी से बीटेक, आईआईएम से किया एमबीए, प्राइवेट नौकरी छोड़ी यूपीएससी की तैयारी, चौथी बार ऐसे बने आईएएस ऑफिसर

आईएएस की सफलता की कहानी: आप में से कई लोगों ने देखा या सुना होगा कि बेटा अपने बाप के कदम पर चल रहा है। लेकिन ऐसा आपने बहुत ही कम सुना होगा या देखा होगा कि बेटी ने अपने पिता के कदमों पर सफलता हासिल की है। ऐसी ही कहानी है साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में 116वीं रैंक हासिल करने वाली अनामिका रमेश (आईएएस अनामिका रमेश) की है। वह अपने पिता की तरह प्रतिष्ठित से इलेक्ट्रिकल की पढ़ाई की। इसके बाद वह यूपीएससी सिविल परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी बन गईं।

एनआईटी, आईआईएम से की पढ़ाई
आईएएस अनामिका ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन से बी.टेक की डिग्री हासिल की हैं। इसके बाद वे भारतीय प्रबंधन संस्थान, पुणे से एमबीए की पढ़ाई पूरी तरह से कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा में कदम रखने का निर्णय लिया। निजी तौर पर काम करते समय अनामिका को लगा कि वे समाज क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव नहीं डाल पा रही हैं। अनामिका लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव लाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2017 में कोचिंग के लिए दिल्ली में प्रवेश और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

चौथे प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल की
अनामिका (आईएएस अनामिका रमेश) के पिता रमेश चंद मीना ने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास की थी और उनकी सफलता से बेटी को प्रेरणा मिली। अनामिका ने अपने चौथे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 116 पाई है। वह साल 2019 बाक के तमिनाडु कैडर के अधिकारी हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने खुद पर विश्वास बनाए रखा और कड़ी मेहनत की। अनामिका का मानना ​​है कि सिविल सेवा की तैयारी एक कठिन प्रक्रिया है, लेकिन लगातार प्रयास और धैर्य से इसे पार किया जा सकता है। उनके पिता दिल्ली से पढ़ाई कर रहे हैं और वर्तमान में तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण (एसडीईटीएन) के सदस्य सचिव हैं।

यहां के हैं नौकरानी पुजारी
आईएएस अनामिका (आईएएस अनामिका रमेश) ने सिविल सेवा में जाने से पहले एक प्राइवेट कंपनी सेल्स मार्केटिंग कंपनी में सहायक इंटर्नशिप में काम किया। इसके बाद वह ईवाई में ट्रांसजेक्शन एड लिंकरी सर्विस में एसोसिएट के अनुसार काम करेगा। आईएएस बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग उपराष्ट्रपति के तौर पर हुई। इसके बाद नीति आयोग में ऑर्केस्ट्रा के तौर पर काम किया गया। बाद में वह तमिलनाडु के चैय्यार में सब नामांकित, चुनाव आयोग में स्तरीय राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर रह रहे हैं। अभी वह वर्तमान में चेंगलपट्टू की मस्जिद के पुजारी हैं।

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