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मिडिल ईस्ट की जंग का फायदा नहीं उठा रहा भारत, हो रहा नुकसान; जयशंकर ने समझाया निष्पक्ष रहने का मतलब

मध्य पूर्व में चल रहे हमास और इजरायल के बीच के संघर्ष ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारी चिंता पैदा कर दी है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह संघर्ष सिर्फ एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने इसे “गहरी चिंता का विषय” बताया, जिससे भारत समेत पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। जयशंकर ने साफ कहा कि भारत मिडिल ईस्ट की इस जंग का फायदा नहीं उठा रहा है बल्कि इससे उसे नुकसान ही हो रहा है।

मिडिल ईस्ट की जंग का फायदा नहीं उठा रहा भारत

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “मध्य पूर्व आज एक अवसर नहीं, बल्कि गहरी चिंता का क्षेत्र है। संघर्ष बढ़ता जा रहा है और इसका असर केवल वहीं नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर पड़ रहा है।” उन्होंने बताया कि ग्लोबल सप्लाई चैन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे भारत समेत अन्य देशों को आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “यह संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है – पहले हमने एक आतंकी हमला देखा, फिर उसकी प्रतिक्रिया हुई, उसके बाद गाजा में जो कुछ हुआ, वह सबके सामने है। अब हम देख रहे हैं कि यह संघर्ष लेबनान तक फैल गया है, जहां इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है। वहीं, हूथी विद्रोही लाल सागर में हमले कर रहे हैं।”

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष वैश्विक समस्याओं को जन्म दे रहा है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ किसी एक क्षेत्र की समस्या नहीं है, और यह मानना गलत होगा कि कोई निष्पक्ष रहकर इससे लाभ उठा सकता है। वैश्वीकरण के इस युग में, किसी भी हिस्से में होने वाला संघर्ष कहीं न कहीं दुनिया के दूसरे हिस्सों पर असर डालता है। इससे किसी न किसी प्रकार की सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा।” जयशंकर ने आगे कहा कि आज दुनिया भर में हो रहे संघर्ष, चाहे वह यूक्रेन में हो या मध्य पूर्व और पश्चिम एशिया में, यह अस्थिरता के बड़े कारक बन चुके हैं। उन्होंने कहा, “यह पूरी दुनिया के लिए, जिसमें हम भी शामिल हैं, चिंता का विषय है।”

हमास-इजरायल संघर्ष की शुरुआत

7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजरायल पर अचानक हमला कर दिया, जिससे एक हजार से ज्यादा लोग हताहत हुए और बड़े पैमाने पर विध्वंस हुआ। इस हमले के जवाब में इजरायल ने गाजा पर तीव्र हवाई हमले और जमीनी ऑपरेशनों की शुरुआत की। इन हमलों में हमास की संरचनाओं और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। इस संघर्ष ने गाजा पट्टी को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है और बड़ी संख्या में लोग मारे गए। अब यह जंग लेबनाने से होते हुए ईरान तक पहुंच चुकी है। यह संघर्ष सिर्फ हमास और इजरायल तक सीमित नहीं रहा है। इसके विस्तार के रूप में लेबनान और ईरान के बीच भी तनाव बढ़ रहा है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के प्रमुख ही इजरायली हमले में मौत के बाद स्थिति को और भी जटिल बन गई। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर 200 के करीब मिसाइलों से हमला किया था। साथ ही, हौथी विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में भी हमले की खबरें आ रही हैं, जिससे समुद्री व्यापार पर भी खतरा मंडरा रहा है।

गौरतलब है कि पश्चिम एशिया भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है, और यहां की अस्थिरता भारत की तेल आपूर्ति पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। इसके अलावा, भारत के लाखों प्रवासी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिनकी सुरक्षा और भविष्य भी इस संघर्ष से प्रभावित हो सकते हैं। भारत ने इस संघर्ष के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कूटनीतिक प्रयासों में तेजी लाने की अपील की है।

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