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जम्मू-कश्मीर में भारत अलायंस आगे, बहुमत से दूर; सभी एक्जिट पोल का अनुमान, जम्मू और कश्मीर न्यूज़

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 एग्जिट पोल नवीनतम अपडेट: इस बार चुनाव के लिए कांग्रेस और राष्ट्रीय पार्टी ने गठबंधन किया है, जबकि बीजेपी राज्य में अकेली चुनावी लड़की है। ओबामा फ्री की पार्टी पीआईपी भी अकेली चुनावी लड़की है।

प्रमोद प्रवीण लाइव हिंदुस्ताननई दिल्लीशनिवार, 5 अक्टूबर 2024 02:25 अपराह्न
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जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 एग्जिट पोल नवीनतम अपडेट: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल अनुमानों में इंडिया एलायंस को बढ़त दिखाई गई है। हालाँकि, वह बहुमत से दूर हैं। डेली भास्कर के सर्वे में इंडिया अलायंस को 35 से 40 सीटों की मुलाकात का अनुमान लगाया गया है, जबकि बीजेपी को 20 से 25 और पीआईपी को 4 से 7 सीटों की मुलाकात का अनुमान लगाया गया है। इसी तरह इंडिया टुडे-सी वोटर ने भी इंडिया अलायंस को 40 से 48, बीजेपी को 27 से 32 पीआईपी को 6 से 12 तक का लाजवाब मिलन का परिचय दिया है। इसके अलावा गुलस्टीन न्यूज के सर्वे में इंडिया अलायंस की 31 से 36 सीटों वाली मुलाकात का खुलासा हुआ है। हालाँकि, पल्स पल्स के सर्वे में भी इंडिया अलायंस को 46 से 50 डोरेमेंट मीटिंग का आकलन मिला है।

विवरण बताएं कि विवरण 370 औद्योगिक और जम्मू-कश्मीर का राज्य का पता चीन के बाद पहली बार जिला चुनाव हैं। विधानसभा का पुनर्गठन करने के बाद अब राज्य में कुल 90 विधानसभाएं शामिल हो गई हैं। बीजेपी को इस चुनाव के बारे में काफी जानकारी है। दूसरी ओर, युवाओं और कांग्रेस को लगता है कि स्टेटहुड और एनोटेशन 370 के खिलाफ जाने से राज्यवासियों के मन में समाए ध्वस्त का उन्हें फायदा होगा। जम्मू-कश्मीर में कुल तीन चरण में चुनाव हुए हैं। इस बार के चुनावी मैदान में कुल मिलाकर 63.88 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है, जो कि जॉन के चुनाव में प्रतिशत 58.58 प्रतिशत से अधिक है।

इस बार चुनाव के लिए कांग्रेस और राष्ट्रीय गठबंधन ने गठबंधन किया है, जबकि बीजेपी राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है। ओबामा फ्री की पार्टी पीडीपी भी अकेले चुनावी मैदान में है। बारामूला से डेमोक्रेट इंजीनियर रशीद शेख ने भी कई पदों पर प्रतियोगी बने हैं। इससे कुछ प्रारंभिक प्रतियोगिता चतुष्कोणीय तो कई पर त्रिकोणीय हो गया है। यह एक बड़ा संयोग है कि इस बार राज्य में कहीं भी पुनर्मतदान की नौबत नहीं आई। न ही कहीं मस्जिद व्यवस्था की स्थिति और न ही धार्मिक हिंसा की कोई बड़ी खबर।

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