MADHAV फॉर्मूला महाराष्ट्र में जीत की शोभा? चुनाव से पहले भाजपा कैसे साध रही जातिगत गुणांक
मराठवाड़ा क्षेत्र में राज्य की 46 झीलें दिखाई देती हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 पौधे हैं जिनकी तुलना किसी भी अन्य जगह से सबसे ज्यादा है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में 20 सीटों पर जीत दर्ज की।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले जातीय गुणांकों को साधने की कोशिशें तेजी से की गईं। भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने स्तर पर स्मारक बनाने में लगी हुई है। इस कड़ी में, प्याज के सहयोगी पर करघाया गया और बंजारा वंशावली का उद्घाटन हुआ। इस उद्देश्य के बड़े राजनीतिक मायने हैं। राज्य में स्थायी महायुति गठबंधन का अहम हिस्सा बीजेपी अब माधव (माधव) फॉर्मूले को भी चमका रही है जो 3 सहयोगी दल का संयुक्त रूप है।
असल, लोकसभा चुनाव के दौरान मराठवाड़ा इलाके में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला, जबकि पश्चिमी महाराष्ट्र में भगवा दल 2 प्रमुख जीत हासिल कर सका। ऐसे में बीजेपी एक बार फिर अपने पुराने और लोकप्रिय MADHAV फॉर्मूले पर जोर दे रही है जो माली, धनगर और वंजारा समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। ये तीन जातियां एकाकी के अंतर्गत आती हैं। साथ ही, महाराष्ट्र के चुनावों में हमेशा अंतिम भूमिका निभाती रहती हैं। बाकी सभी राजनीतिक दल माधव यानी माली, धनगर और वंजारा को अपनी ओर खींचना चाहते हैं।
ओबीसी के बीच पकड़ मजबूत करने की कोशिश
जर्नलिस्ट टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी नेताओं का मानना है कि इन समर्थकों के बीच बीजेपी की पकड़ खराब हो गई है। राज्य सरकार के साथ मिलकर प्राकृतिक प्राकृतिक सुंदरता का असर देखने को मिल रहा है। कहा जा रहा है कि ओबीसी चरित्र भगवा दल से दूर जा रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहती है. इसके लिए इन तीन दिग्गजों के नेताओं को टिकट वितरण में विशेषाधिकार दिया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि इसी तरह एकजुट मतदाताओं के बीच हमारी पकड़ मजबूत होगी।’
मराठवाड़ा क्षेत्र में महान प्रदर्शन की उम्मीद
मराठवाड़ा क्षेत्र में राज्य की 46 झीलें दिखाई देती हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 पौधे हैं जिनकी तुलना किसी भी अन्य जगह से सबसे ज्यादा है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में 20 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि मराठवाड़ा में 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। अप्रचलित हो कि महायुति सरकार ने हाल ही में अहमदनगर का नाम स्मृति अहिल्यादेवी होलकर के नाम पर अहिल्यानगर कर दिया। अहिल्यादेवी होलकर धनगर समुदाय के बीच पूजनीय हैं, वे उनके देवता के समकक्ष हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने ब्राह्मण और राजपूत समुदायों के आर्थिक विकास के लिए 2 निगम स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके माध्यम से उच्च बैंड के बीच अपनी उपस्थिति मजबूत करने का प्रयास है।