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गैर जाट वोट, अंदरूनी कलह; 10 साल बाद भी BJP का किला क्यों नहीं भेद पा रही कांग्रेस

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान बाकी है, लेकिन ताजा आंकड़े भारतीय जनता पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार के संकेत दे रहे हैं। ECI यानी भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा 49 सीटों पर आगे चल रही है। राज्य में बहुमत के लिए 47 सीटों की जरूरत है। राज्य में हुई भाजपा और कांग्रेस की सीधी जंग में विपक्षी दल पिछड़ता नजर आ रहा है। जाट वोटर, अंदरूनी कलह समेत कई वजहें हो सकती हैं।

कांग्रेस को क्यों लगा झटका

अंदरूनी कलह: पार्टी की अंदरूनी कलह और राज्य के शीर्ष नेताओं के बीच तनातनी एक वजह हो सकती है। चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद को लेकर भुपेंद्र हुड्डा और सांसद कुमारी शैलजा के बीच रस्साकशी की खबरें सामने आने लगी थीं। प्रचार से लेकर टिकट वितरण तक में मतभेद की अटकलें लगाई जाती रहीं। कांग्रेस तमाम कोशिशों के बाद भी एकजुट चेहरा पेश नहीं कर सकी।

क्षेत्रीय दल और निर्दलीय: वोट शेयर के मामले में भाजपा से कांग्रेस कुछ आगे है, लेकिन ये आंकड़े सीट में परिवर्तित होते नजर नहीं आए। कई सीटों पर कांग्रेस की बढत का अंतर ज्यादा नहीं है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी ने वोट शेयर में चोट पहुंचाई है। खास बात है कि क्षेत्रीय दल खास प्रदर्शन करने में असफल रहे हैं। हालांकि, अभी निर्वाचन आयोग के अंतिम आंकड़े आने बाकी हैं।

गैर जाट वोट: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ने जाट मतों पर खास फोकस किया था, जिसके चलते गैर-जाट वोट भाजपा के पक्ष में एकजुट हो गए।

बीजेपी का साइलेंट मोड: खबरें हैं कि जमीनी स्तर पर चुपचाप काम भाजपा के पक्ष में गया। जबकि, अधिकांश एग्जिट पोल राज्य से भाजपा सरकार के जाने के संकेत दे रहे थे। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को प्रचार का काम सौंपा था।

भाजपा का शहरी वोटर: बीते एक दशक में भाजपा ने हरियाणा के शहरी इलाकों से समर्थन हासिल करने में सफलता हासिल की है। इनमें गुड़गांव और फरीदाबाद जैसे इलाके शामिल है। फिलहाल, भाजपा गुड़गांव, फरीदाबाद और वल्लभगढ़ से आगे चल रही है।

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