सफलता की कहानी: बचपन में मछली की तंगी, मां ने छोड़ी सेना की नौकरी, एक प्रेरणा ने बदल दी जिंदगी
सफलता की कहानी: यह कहानी है मनमोहन सिंह की. राजस्थान के निबंधों के रहने वाले हैं। उनके महल राजस्थान पैलेस एंड मैन्सिस विभाग में ड्राइवर के पद पर उपकरण थे। मनमोहन ने बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी मनी से हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई-लिखाई में मन लगाया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्कॉलिक हाई स्कूल, प्रारंभिक में हुई और उन्होंने सिटी कॉमर्स स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने डूंगर कॉलेज, बी.आई. की डिग्री प्राप्त की, जो महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
बीए के दूसरे वर्ष, 2004 में उनका चयन भारतीय सेना में सिपाही के रूप में हुआ। सेना की नौकरी हर किसी का संदेह है, और अर्थशास्त्र ने भी इसे पूरी तरह से विश्वसनीयता से वंचित कर दिया। लेकिन 2008 में उनके जीवन में एक बड़ी चुनौती आई। उनकी माँ की तबियत ख़राब रही, और उनके पिता की पोस्टिंग कहीं और होने के कारण, घर पर उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। परिवार की ज़िम्मेदारियाँ लिखी गईं, मनोविज्ञान को सेना की नौकरी छोड़नी पड़ी, जो उनके जीवन का सबसे कठिन निर्णय था।
निजी नौकरी के लिए संघर्ष
सेना की नौकरी सिर्फ 4 साल तक जारी रहने के कारण, मनमोहन को पेंशन का दर्जा भी नहीं दिया गया। ऐसे में एक बार फिर आर्थिक संकट ने उन्हें घेर लिया. इसके बाद उन्होंने राजस्थान से दिल्ली तक नौकरी की तलाश शुरू की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उन्होंने दिल्ली में आईटी की ट्रेनिंग ली और कुछ समय बाद आईटी इंडस्ट्री में नौकरी शुरू की, लेकिन इसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिली और उनकी तलाश थी।
जोधपुर यात्रा ने बदली जिंदगी
जोधपुर की यात्रा के दौरान एक पारिवारिक समारोह के दौरान उनकी जिंदगी में नया बदलाव आया। वहां उन्होंने राजस्थानी हस्तकला को देखा और इस कला में एक बड़ा व्यावसायिक अवसर देखा। उन्हें लगा कि राजस्थानी हस्तकला को विश्वभर में पहचाना जा सकता है।
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और ऐसे हंगमांडों को रोजगार दें अर्थशास्त्र
डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स कर ओबामा ने खुद का ऑफ़लाइन मंच शुरू करने का निर्णय लिया। 2024 में उन्होंने क्राफ्टीदर डॉट कॉम (Craftyther.com) के नाम से अपना आइडिया शुरू किया, जो राजस्थानी हस्तकला गुड़िया को वैश्विक बाजार में स्थापित करता है। उनकी यह कलाकृति आज उन शिल्पकारों को रोजगार दे रही है जो राजस्थानी हस्तकला में माही हैं। डॉक्टर कहते हैं, “जब मैंने देखा कि मेरे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से राजस्थान के कलाकारों के उत्पाद अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व जैसे देशों में बिक रहे हैं, तो मुझे गर्व होता है।” आज उनकी कंपनी से 100 से अधिक हस्तकला शिल्पी जुड़े हुए हैं, और उनके उत्पाद न केवल उनके मंच मंच जैसे बड़े मंच पर भी बिक रहे हैं। अविश्वास की यह कहानी बताती है कि अगर इंसान में हिम्मत और मेहनत करने का जज्बा हो, तो वह जीवन की हर ताकत को पार कर सकता है और प्रेरणा के लिए प्रेरणा बन सकता है।
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पहले प्रकाशित : 8 अक्टूबर, 2024, 21:11 IST