उत्तर प्रदेश

पीलीभीत समाचार: रंग लाई सामाजिक कार्यकर्ता की मेहनत, राज्य पुरातत्व विभाग ने किया शाहगढ़ का जमीनी सर्वेक्षण

द्वितीय. प्राकृतिक तत्वों के साथ ही पिस्टन जिले के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। एलपीजी में प्राचीनतम मसाले मौजूद हैं लेकिन दुर्भाग्य से सभी एक ही हैं। लेकिन हाल ही में सोशल एक्टिविस्ट के प्रयास के तहत शाहगढ़ में मौजूद टाइल का स्टेट सर्वेसर्वा की टीम ने जमीनी सर्वेक्षण किया है। सर्वे टीम का मानना ​​है कि यह टीला काफी प्राचीन है।

ऐसी प्रामाणिक मान्यता है कि महाभारत काल के शाहगढ़ क्षेत्र के समकालीन शासक राजा वेणु का किला हुआ था। इसके शाहगढ़ किले में मौजूद होने की पुष्टि ब्रिटिश टाइम्स भारत के सर्वेसर्वा विभाग के प्रथम निदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने सन 1862,1963,1964 में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी। यह महत्वपूर्ण धरोहर भी अनदेखा का शिकार हो रहा था। आलम यह है कि इस टाइल की जमीन पर खेती की जा रही है और इसे महत्वपूर्ण बनाए रखना है।

3 घंटे तक चला सर्वे
वहीं गांव के ज्यादातर घरों में इस टाइल से प्राचीन टुकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक खड़िया को संजोने के लिए कई बार शहर के युवा सामाजिक कार्यकर्ता कश्यप कश्यप प्रयास कर रहे थे। लॉन्ग पैरवी के बाद हाल ही में राज्य संग्रहालय सर्वेक्षक विभाग की तीन वैज्ञानिक टीमों का सुझाव दिया गया। टीम ने टीले का विस्तृत घंटा भ्रमण किया, 3 चाल सर्वेक्षण में टीम को कई महत्वपूर्ण विशिष्टताएँ भी मिलीं। टीम कार्बन डेटिंग में शामिल नमूनों के लिए कुछ डैशबोर्ड यहां से भी साझा किया गया है। पुरातत्वविद् की टीम ने यह भी माना कि यह टीला प्राचीन है। हालाँकि सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट आ जाने के बाद ही इसकी तस्वीर साफ़ हो गई।

प्रशासन के लिए प्राचीन खड़ियालों का उपयोग गंभीर नहीं है
एक तरफ जहां देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को संजोने के अभियान और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन के संकटग्रस्त रवैयों के बीच कई ऐतिहासिक खदानें मिट्टी में मिल रही हैं। अगर प्राचीन काल की बात करें तो यहां ब्रिटिश काल, रुहिल्ला काल से लेकर महाभारत काल तक के स्मारक मौजूद हैं। लेकिन इन खड़ियालों में से किसी एक के प्रति भी स्थानीय प्रशासन की सतर्कता और गंभीरता नहीं है।

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