झारखंड चुनाव में बीजेपी के सामने क्या हैं चुनौतियां, सीता और चंपई सोरेन कितने मददगार होंगे? -अमर उजाला हिंदी न्यूज़ लाइव
सीता सोरेन और झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन।
-फोटो : ANI
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हाल के दिनों में भी राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं, या हो रहे हैं, भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद झारखंड से है। बीजेपी को उम्मीद है कि पांच साल का एंटी इंकंबेंसी फैक्टर, परिवार में अलोकतांत्रिक, पार्टी में बगावत और जमीन पर आरोप लगाने वाले राहुल सोरेन की राह मुश्किल होगी। हालाँकि, नोस्ट इलेक्शन लैपटॉप के साथ बनी बीजेपी अपनी रणनीति पर भी कायम है।
असल में, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने राज्य की 14 फिल्मों में से 8 मिनिट पर जीत हासिल की थी, लेकिन वह जनजातीय 5 फिल्मों में से एक पर भी जीत हासिल करने में नाकाम रही थी। जदयू बहुल खूंटी, लोहरदगा, चाईबासा, राजमहल और गांवों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इन दस्तावेजों में भाजपा को एक लाख से अधिक निवेश के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
यहां तक कि बीजेपी को दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी बीजेपी के लिए मुस्लिम समुदाय की सीट पर जीत हासिल करने में नाकाम रही थी। उन्हें मोर्ज़ा लिबरेशन मोर्चा के उम्मीदवार नलिन सोरेन ने हरा दिया था।
31 जनवरी को नॉर्वे के पोर्टफोलियो निदेशालय ने झारखंड के मुख्यमंत्री रसेल सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। मुमो ने इसे राज्य में जेजेपी रूम से जोड़ा और झा में शामिल कर लिया, जिसके कारण सोलोमन के प्रति सहानुभूति का भाव पैदा हुआ। उनका कहना है कि कट्टर नेमो चुनाव में झामुमो गठबंधन के पक्ष में एकजुटता ने वोट दिया और बीजेपी को नुकसान हुआ।
बीजेपी की ये परेशानी है कि लोकसभा चुनाव में जनता प्रधानमंत्री के ध्यान में आकर भी वोट देती है. मोदी की प्राथमिकता से अभी भी इंकार नहीं किया जा सकता। इनोवोज़ में डिफ़ॉल्ट प्रदर्शन के बाद भी बीजेपी को मोदी की छवि का फ़ायदा मिलेगा। जबकि इस विधानसभा चुनाव में उनके पास मोदी का चेहरा नहीं होगा। उलटे इस बार वह सीधे तौर पर सीधे तौर पर उग्रवादी सोरेनेग होंगे जो अपने अपराधी से उपजी सहानुभूति की लहर को हर तरह की कोशिश करेंगे। ऐसे में बीजेपी को जमुना बहुल द्वीप पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कैसे डैमेज कंट्रोल कंपनी
पार्टी के गुट के अनुसार, जमुना बहुल पार्टी के प्रभावशाली और चुनाव में शामिल होने के लिए पार्टी की स्थिति निर्धारित की जा सकती है। इस बार पार्टी में 25 से ज्यादा की संख्या में बदलाव हो सकते हैं। पार्टी की पहली इसी सप्ताह की सूची जारी हो सकती है।
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