शरद पूर्णिमा पर कब खुले आसमान में खेड? कृष्ण से क्या है कनेक्शन, भगवान काशी के विद्वान से जानें सब-शरद पूर्णिमा 2024 खुले आसमान के नीचे कब रखें खीर, काशी ज्योतिषी से जानें सबकुछ
वाराणसी:आश्विन माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। इसे रास पूर्णिमा या कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कोजागरी व्रत भी रखा जाता है। इसलिए इस दिन का सनातन धर्म विशेष महत्व रखता है। इस दिन चन्द्रना अपने 16 कलाओं से युक्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मध्यरात्रि में आकाश से अमृत वर्षा होती है।
इस दिन का खास कनेक्शन भगवान श्रीकृष्ण से भी है। दंतकथाओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास लीला की थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहा जाता है। काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन चंद्रमा की किरण से अमृत की वर्षा होती है जिससे आपको सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।
यह समय सबसे उपयुक्त है
इस दिन शाम को स्नान के बाद चावल और दूध का खेड बनाना चाहिए। इस खेड को किसी कांच या किनारे के बर्तन में मध्य रात्रि में खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए। खेड कीपर का सही समय रात ने 11 ओलंपिक्स 20 मिनट से 12 सेकंड्स 45 मिनट का समय सबसे उपयुक्त है। हालाँकि रात नौ बजे के बाद भी आप खुले आसमान के नीचे उतरकर देख सकते हैं।
वैधानिक स्वास्थ्यता का श्रृंगार
पूरी रात इस खेड पर जब चन्द्रमा की किरणें अमृत वर्षा कुंजियां होती हैं तो इसका प्रसाद सभी स्वरूप के लोगों को ग्रहण करना चाहिए। इससे मनुष्य को आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है और उसे हर तरह की मजबूरी से मुक्ति मिल जाती है।
कुंडली में चंद्रमा से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं
इसके अलावा इस कुंडली में चंद्रमा से जुड़ी मूर्तियां भी समाप्त हो जाती हैं और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। बता दें कि इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (बुधवार) का दिन मनाया जाएगा।
पहले प्रकाशित : 16 अक्टूबर, 2024, 08:59 IST
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्यों और आचार्यों से बात करके लिखी गई है। कोई भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि संयोग ही है। ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है। बताई गई किसी भी बात का लोकल-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है।