मुंबई और विदर्भ क्षेत्र की 28 पोस्ट एमवीए में क्यों मची है रेडियोन, इनसाइड स्टोरी
एमवीए के एक और घटक दल एसपी ने मुंबई के बायकुला, मानखुर्द शिवाजी नगर, वर्सोवा और परमाणु शक्ति नगर पर भी अपना दावा ठोक दिया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने इन रिज्यूमे में से कुछ पर अपने एजेंडे के नाम पर भी फाइनल कर लिया है, इसलिए ज्यादा तनाव और तीर्थयात्रा और बढ़ोतरी हुई है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों में से 260 सीटों पर राज्य की 288 विधानसभाओं के बीच समझौता हो गया है, लेकिन 28 विधानसभा सीटों पर महाराष्ट्र के गठबंधन के बीच पेच फंस गया है। इसकी वजह से कांग्रेस और पार्टी (उद्धव ठाकुर) के बीच सैलून चल रही है। कांग्रेस की तरफ से नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए सीधे तौर पर राहुल गांधी से बात करेंगे। ।।
एमवीए की आदर्श बैठक
इससे पहले मुंबई में गुरुवार को महाविकास अघाड़ी की 9 घंटे की मैराथन बैठक हुई थी। इसी बैठक में 260 पर सहमति नहीं बनी है लेकिन विदर्भ और मुंबई क्षेत्र के 28 पर सहमति नहीं बनी है। इन दस्तावेजों पर कांग्रेस और पार्टी (यूबीटी) के बीच सैलून मची हुई है। आधिकारिक तौर पर कहा गया है, मुंबई की वर्सोवा, बायकुला और धारावी की सीटों पर कांग्रेस अपना दावा कर रही है, जबकि यूपी की असेंबली बायकुला, वर्सोवा और घाटकोपर (पश्चिम) की सीट पर दावा कर रही है।
मुंबई की किनकी वेबसाइट पर
इतना ही नहीं एमवीए के एक और घटक दल समाजवादी पार्टी ने मुंबई के बायकुला, मानखुर्द शिवाजी नगर, वर्सोवा और अनित्यशक्ति नगर पर भी अपना दावा ठोक दिया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने इन रिज्यूमे में से कुछ पर अपने एजेंडे के नाम पर भी फाइनल कर लिया है, इसलिए ज्यादा तनाव और तीर्थयात्रा और बढ़ोतरी हुई है। हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि मुंबई और विदर्भ की 28 पार्टियों के अवकाश के मुद्दे पर स्टूडियो की कोशिशें हो रही हैं। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी (यूबीटी) के अध्यक्ष युथवे ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि सहयोगियों के बीच सौदेबाजी की बातचीत के बीच अंतिम तक पहुंच की पुष्टि नहीं की जानी चाहिए।
अख्तर ने कहा कि एमवी के सहयोगियों के बीच बातचीत के अंतिम चरण में शनिवार तक या अगले 2 से 3 दिनों तक सहमति हो सकती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है और लोगों ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में इंजीनियर एमवी को सत्ता में लाने का फैसला किया है। एमवी में कांग्रेस, बीजेपी (यूबीटी) और गर्लफ्रेंड (शरदचंद्र राव) शामिल हैं।
क्यों फंस रहा है पेच, क्या है गणित?
असल में, हर राजनीतिक दल चाहता है कि वह जिताओ (चाप खाकर) मिले। यानी कि उनकी किताब में उनके प्रतियोगी की जीत सुनिश्चित हो सके। अब सवाल है कि विदर्भ और मुंबई में ही पेच क्यों फंस रहा है, तो इसका जवाब है कि डेमोकोल चुनाव की कहानियां और फिल्मों की कहानियां छिपी हुई हैं। डेटा का विश्लेषण करने से पता चलता है कि पश्चिमी महाराष्ट्र, विदर्भ और मराठा क्षेत्र में महायुति पंचायत है, जबकि महाविकास अघाड़ी गठबंधन वहां लीड ली है। पश्चिमी महाराष्ट्र में महायुति ने 70 में से 30 रेगिस्तान में लीड ले ली है, जबकि विदर्भ में 62 में से सिर्फ 19 में और मराठा इलाके में 46 में से सिर्फ 11 में ही लीड ले ली है।
स्पष्ट है कि इन इलाक़ों में महाविकास आघाड़ी के घटक दलों को सबसे ज़्यादा वोट मिले हैं, इसलिए उनके गुट ने ज़्यादातर बढ़त बना ली है। विदर्भ की 62 में से 43 में और मुंबई में 36 में से 20 में एमवीए ने लीड ली थी। इसमें कांग्रेस और घटक दलों के भी शामिल हैं, जिन्होंने लीड ली थी इसलिए दोनों दल इन क्षेत्रों में अपनी-अपनी उम्मीदवारी कह रहे हैं, जैसे कि परिणाम मिल सके। इसी तरह का प्रदर्शन पश्चिमी महाराष्ट्र में भी किया जा रहा है, लेकिन वह बेल्ट ग्राउल्स का है, इसलिए वहां सैलून नहीं मची है। मुंबई में प्लास्टिक इस वजह से भी है क्योंकि ये युवा और कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है। दूसरी ओर, उत्तरी महाराष्ट्र, ठाणे और कोंकण क्षेत्र में महायुति का प्रदर्शन बेहतर है, वहां एमवीए में रिवाइवल नहीं है।