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न कोई डबल मीनिंग, न ही ग्लैमर का तड़का, सरल कहानी के दम पर हंसाती रही मूवी, जीता था नेशनल अवॉर्ड

नई दिल्ली: नेशनल अवॉर्ड विजेता फिल्म ‘खोसला का घोसला’ शुक्रवार 18 अक्टूबर को सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई. दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर इसे शानदार कल्ट फिल्म बताते हैं. फिल्म 22 सितंबर 2006 को पहली बार रिलीज हुई थी. इसने 54वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स फंक्शन में बेस्ट फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता था. 3.75 करोड़ में बनी फिल्म ने 6.67 करोड़ रुपये कमाए थे. अभिनेता ने पहले ही आईएएनएस को बताया था कि यह लेखक जयदीप साहनी के दिमाग की उपज है. फिल्म के निर्माता राज और सविता हीरेमठ ने आईएएनएस को बताया कि फिल्म को एक ब्रांड में बदलने का उनका विचार था.

राज और सविता हीरेमठ फिल्म बनाने से पहले विज्ञापन की दुनिया से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने एक ऐसी कहानी पर दांव लगाया जो बहुत सरल थी. फिल्म में ग्लैमर का एक अंश भी नहीं था, जिसके लिए उस समय बॉलीवुड जाना जाता था. सविता ने आईएएनएस को बताया, ‘हम ऐसी फिल्म का निर्माण करना चाहते थे, जो लोगों का मनोरंजन करे, साथ ही इसे एक ब्रांड बनाने की कोशिश थी. यह हमारे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं थी. हम चाहते थे कि यह फिल्म पैसा कमाने के साथ लंबे समय तक चले.

विदेशों में भी पसंद की गई मूवी
सविता ने बताया, ‘आप अपने परिवार को थिएटर में देख रहे हैं और उस पर हंस रहे हैं. आप इसलिए नहीं हंस रहे हैं, क्योंकि फिल्म में कलाकार डबल मीनिंग जोक्स कर रहे हैं या वे उन संवादों में से कुछ कर रहे हैं. फिल्म देखते समय आप इसलिए हंसते हैं, क्योंकि आपके साथ ऐसा कुछ हुआ है.’ दिबाकर बनर्जी द्वारा निर्देशित ‘खोसला का घोसला’ का हास्य न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है. राज ने आईएएनएस को बताया, ‘हम कान्स गए और हमने शुरुआती दौर में फिल्म का प्रदर्शन किया. लोग हंस रहे थे और कह रहे थे, ‘यह क्या है?’

लेखक की सच्ची कहानी से प्रेरित है फिल्म
दिबाकर बनर्जी ने आगे कहा, ‘वे उस सीन पर हंस रहे थे, जिसमें माताजी सिर्फ नमस्ते कर रही थीं. पहली नजर में, माताजी का नमस्ते करना मजेदार नहीं था, लेकिन लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे. निर्माताओं ने यह भी बताया कि फिल्म का पहला भाग कुछ ऐसा है, जो वास्तव में इसके लेखक जयदीप साहनी के साथ हुआ है. वह ‘कंपनी’, ‘बंटी और बबली’, ‘चक दे! इंडिया’ और ‘रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर’ जैसी अन्य कल्ट फिल्मों के लिए भी जाने जाते हैं. जयदीप के परिवार के पास भी जमीन थी, जिसे बिल्डर द्वारा हथिया लिया जाता है. फिल्म का दूसरा पार्ट उस व्यक्ति से बदला लेने की उसकी इच्छा से प्रेरित है, जिसने उसके परिवार की जमीन ले ली थी.

टैग: Anupam kher

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