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एरिजोना के एक जोड़े ने झारखंड के धनबाद से 15 महीने के बच्चे को गोद लिया – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

एरिज़ोना के एक दंपति ने झारखंड के धनबाद से 15 महीने के बच्चे को गोद लिया

बच्ची को मिला आसरा
-फोटो : ANI

विस्तार


झारखंड के सामने से एक दिल छू लेने वाली खबर आई है। एक साल पहले जो बच्ची गोविंदपुर में सांप से मिली थी, अब उसे अमेरिका के शैतान ने गोद ले लिया है। जब बच्ची मिली थी, तब किसी को पता चला था कि जिस मां ने अपनी बच्ची को झडियों में जबरदस्ती फांसी पर लटका दिया था, एक दिन उसे जीवन मिलेगा और अमेरिका जैसे देश में वह बसेगी।

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स्थानीय व्यक्ति ने हॉस्पिटल में भर्ती कराया था

15 एक महीने में जब पिता ने बालक को हाथ में उठाया, तब वह ध्यान में आया। बच्ची को सबसे पहले झांडियों में गोविंदपुर के ही रहने वाले एक शख्स ने देखा था। उस समय नवजात की स्थिति काफी खराब थी। व्यक्ति ने उसे प्रभावित किया अस्पताल में भर्ती कर्मचारी। सीडब्ल्यू और अजीबो को जानकारी मिलने के बाद बच्ची को अपनी कस्टडी में लेकर इलाज कराया गया। स्वस्थ होने के बाद बच्ची को सरायढेला स्थित एसएए (स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी) में रखा गया। वहां एक साल तक बच्ची को देखा गया।

इन लोगों ने लिया गोद

बच्ची को गोद लेने वाला, अमेरिका के एरिजोना में रहने वाला है। टॉड बैंक बड़ी कंपनियां हैं, जबकि उनकी पत्नी एरिजोना के ही यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। शुक्रवार को सीडब्ल्यूसी में बच्ची को गोद लेने वाले टॉड, उसकी बहन और दो पड़ोसी देश में थे। पत्नी के गर्भवती होने के कारण भारत नहीं आ गया। वैराइटी जारी होने के बाद बच्ची को लेकर अमेरिका रवाना हो जाएगी।

बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के जिला अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि अमेरिकियों ने सेंट्रल दत्तक लीज सोर्स अथॉरिटी (कारा) के माध्यम से बच्चे को गोद लिया है।

बच्ची के जीवन में आया ही हुआ उजाला: मां

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी के अनुयायी हैं कि बच्ची इतनी खुशकिस्मत और लक्ष्मी है कि पहले उसे बड़े अस्पताल से मिला। इसके बाद सरकारी एजेंसी। एक साल के अंदर ही बच्ची को अमेरिका के सपने ने गोद ले लिया। इतना नहीं, गोद लेने वाला अमेरिकी वर्षों से निसंतान था। इसके बाद ही गोद लेने का मन बना, लेकिन जैसे ही गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल हुआ और इस बच्चे से मिलान हुआ, वैसे ही गोद लेने वाली मां गर्भवती हो गई। डैडी के पिता ने बताया कि वह छह महीने की गर्भवती है, इसलिए भारत नहीं आ पाया। गर्भावस्था के बाद भारत की एजेंसी ने पूछा कि अब आप क्या गोद लेना चाहते हैं, इस पर उनकी पत्नी ने कहा कि इस बच्चे के जीवन में ही उजाला आ गया था, इसलिए इसे कभी नहीं छोड़ेंगे।

लड़की को कारा के एक अधिकारी, सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष मुखर्जी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी साधना कुमारी और कारा के प्रोजेक्ट अधिकारी नीरज डे एवं अन्य की सम्मिलित टीम में अमेरिका निवासी को शामिल किया गया।

ऑनलाइन एप्लिकेशन का उपयोग करना जारी रखें

बच्चे को गोद लेने की इच्छा रखने वाले लोगों को (cara.nic.in) सेंट्रल एडॉप्शन रिसर्स अथॉरिटी में ऑनलाइन आवेदन करना होता है। यहां वॉलीबॉल का वैर स्टोर होता है। आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि की जांच की जाती है। यहां कई एप्लीकेशन में से एक बेहतर एप्लीकेशन का चयन किया जाता है। इसके बाद बच्चे को उक्त कथन को गोद दिया जाता है। इसके बाद सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एथोरिटी (कारा) भी कंसल्टेंसी का निर्वाह और बच्चों की निगरानी करती है।

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