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ये है दुनिया का सबसे टफ एग्जाम, कैंडिडेट देते हैं 10 घंटे का पेपर, ड्रोन से रखी जाती है​ नजर

<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">गाओकाओ, जिसे चाइनीज यूनिवर्सिटी एंट्रेस एग्जाम के रूप में जाना जाता है. इसे दुनिया का सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण एग्जाम माना जाता है. यह परीक्षा हर साल चीन में लाखों छात्रों द्वारा दी जाती है और उनकी शैक्षणिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होती है. इस एग्जाम में पास होने के लिए छात्रों को कई महीनों नहीं, बल्कि वर्षों तक कठिन परिश्रम करना पड़ता है, क्योंकि उनके परिणाम उनके भविष्य के लिए निर्णय लेते हैं. इस लेख में हम आपको गाओकाओ एग्जाम में जुड़ी ऐसी जानकारियां देंगे, जो शायद ही आपको पता हों.

गाओकाओ एग्जाम चीन के छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाने का एकमात्र जरिया है. इस एग्जाम का आयोजन हर साल जून में किया जाता है और यह तीन दिनों तक चलती है. इस परीक्षा के जरिए छात्रों के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी और एकेडमिक प्रोग्राम्स में एडमिशन के अवसर निर्धारित होते हैं. इसमें चाइनीज लैंग्वेज, मैथ्स, फॉरन लैंग्वेज और एक ऑप्शनल सब्जेक्ट होता है.

ड्रोन से होती है निगरानी, प्रशासन रहता है मुस्तैद

गाओकाओ की एग्जाम के दिन पूरा प्रशासन मुस्तैद होता है. सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होती है. एग्जाम सेंटर पर ड्रोन के जरिए हवाई निगरानी की जाती है. प्रश्न पत्रों को एक सेंटर से कॉलेज तक पहुंचाने के दौरान जीपीएस ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. परीक्षा केंद्रों से 500 मीटर ऊपर ड्रोन मंडराते हैं, ताकि छात्रों तक पहुंचने वाले किसी तरह के रेडियो सिग्नल को रोका जा सके और निगरानी भी हो सके.

तय होती है भविष्य की दिशा
गाओकाओ सिर्फ एक एकेडमिक परीक्षा नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य का निर्धारण करने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. इसमें हासिल किए गए अंक न केवल यूनिवर्सिटी में एडमिशन निर्धारित करते हैं, बल्कि यह भी तय करते हैं कि कौन सी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलेगा. केवल टॉप स्कोर हासिल करने वाले छात्र ही देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन पा सकते हैं.

दबाव और मानसिक तनाव नहीं झेल पाते हैं छात्र
गाओकाओ एग्जाम में अच्छी परफॉर्मेंस के दबाव के कारण छात्र कई सालों तक लगातार तैयारी करते हैं, और परीक्षा के दौरान मानसिक और शारीरिक तनाव का सामना भी करते हैं. परीक्षा के दौरान की लंबी अवधि और कठिन सवाल छात्रों को थका देती है, जिससे परीक्षा का पासिंग परसेंटेज बहुत कम होता है. केवल चुनिंदा छात्र ही हाई स्कोर प्राप्त कर पाते हैं, जिससे प्रतियोगिता और कठिन हो जाती है.

 

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