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यूपीएससी पश्चिम बंगाल की तमाली साहा की सफलता की कहानी, जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 94वीं रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और भारतीय वन अधिकारी बन गईं।

यूपीएससी सफलता कहानी: देश की सबसे मुश्किल और चुनौतियां भारी परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को टॉप में रखा जाता है. इस परीक्षा को पास करके न सिर्फ युवा आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसी केंद्रीय सेवाओं में पहुंचते हैं बल्कि, उनकी प्रतिभा और शैक्षिक दक्षता का भी पता चलता है.

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले से आने वाली 23 साल की तमाली साहा ने पहले ही प्रयास में इस मुश्किल परीक्षा को पास कर अपनी जगह पक्की की थी.

यूपीएससी सफलता कहानी: कॉलेज के समय से ही देखा यूपीएससी का लक्ष्य

उत्तर 24 परगना की रहने वाली तमाली ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोलकाता स्थित कलकत्ता यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में डिग्री हासिल की. कॉलेज के दिनों से ही तमाली के मन में यूपीएससी की परीक्षा पास कर केंद्रीय सेवाओं में जाने का सपना घर कर चुका था.

यूपीएससी सफलता की कहानी: 94वीं रैंक, फिर भी चुना आईएफएस

2020 में तमाली की मेहनत और लगन ने उन्हें सफलता दिलाई और ऑल इंडिया 94 वीं रैंक हासिल कर उन्होंने भारतीय वन सेवा को चुना. कहते हैं इस रैंक वाले युवा आईएएस व आईपीएस भी चुन और बन सकते थे लेकिन उन्होंने आईएफएस चुना. आईएफएस अधिकारी के तौर पर वह गृह राज्य पश्चिम बंगाल में ही सेवाएं दे रही हैं.

यूपीएससी सफलता कहानी: लक्ष्य और तैयारी पूरी हो तो मिलेगी सफलता

तमाली साहा की उपलब्धियों ने कई उम्मीदवारों को प्रेरित किया है जो अपने परिवार, दोस्तों को गौरव महसूस करने के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा के लिए कुछ करना चाहते हैं. उनकी कहानी बताती है कि कैसे सपने को देखना और उसे पाना संभव सिर्फ तभी है जब आप उसके लिए पूरी ईमानदारी से रणनीति बनाकर तैयारी करते हैं. तमाली की अविश्वसनीय सफलता की कहानी देश भर के युवाओं को मोटिवेट करती है और बताती है कि सही अप्रोच, दृढ़ता और अटल समर्पण के साथ सब कुछ संभव है.

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