महाभारत काल से जुड़े इस मंदिर में हमेशा रहता है चमत्कारी गाय, दर्शन से पूरी तरह जुड़ा है मन!
गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा मंदिर स्थित है, जिसके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। यह मंदिर विकासखंड रुपाईडीह के बनघुसा में स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम सीता के साथ हनुमान जी की मूर्ति है। लोगों का मानना है कि यहां कामधेनु गाय हमेशा रहती है। इस मंदिर को तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर की स्थापना श्री श्री 108 स्वामी राममिलन दास महाराज जी ने की थी। लोगों का मानना है कि राममिलन दास महाराज जी ने 24 वर्ष पूर्व साधना प्राप्त की थी। महाराज 24 वर्ष तक किसी भी व्यक्ति से नहीं मिले थे, केवल भगवान का भजन और साधना करते थे।
शांत मनोरम तपोवन आश्रम झाली धाम
लोक 18 से बातचीत के दौरान मंदिर के महंत स्वामी नरसिंग दास ब्रह्मचारी ने बताया कि इस तपोभूमि की पृष्ठभूमि महाभारत काल से जुड़ी हुई है। इस भूमि का पहला नाम एक चक्र धीरे-धीरे था। इस भूमि का नाम बेल चक्र पड़ा। इस मंदिर के निर्माण के बाद इस मंदिर का नाम शांत मनोरम तपोवन आश्रम झाली धाम रखा गया।
जानिए क्या है कामधेनु गाय
कामधेनु गाय माता नैतिक ब्रह्मचारिणी कभी बच्चा नहीं देवियां और मनोरथ दूध देवियां। उसी दूध से आज भी मंदिर में भगवान का भोग लगता है। माना जाता है कि इस मंदिर में हमेशा कामधेनु गाय रहती है, जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त दर्शन करते हैं और उनका मन पूर्ण होता है।
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कब हुआ मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण 1965 से लेकर 1970 तक चला। उसके बाद मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई और फिर मंदिर के गर्भगृह में ठाकुर जी की स्थापना हुई। महाराज राम मिलन दास जी 1970 से 1976 तक इस संसार में रहे। 76 में उन्होंने इस मंदिर को विश्वासपात्र बनाया और 1977 जून में महाराज जी ने क्रिया के द्वारा अपने पार्थिव शरीर का त्याग कर दिया।
आश्रम में विभिन्न पर्व होते हैं
झाली धाम आश्रम में तीन पर्व बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को यज्ञ पर्व मनाया जाता है, आषाढ़ के पूर्णिमा को गुरु पर्व, और कार्तिक शुक्ल पक्ष को पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। इसमें विशाल भंडारा होता है।
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पहले प्रकाशित : 4 नवंबर, 2024, 12:32 IST
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