बिहार

पिता हैं दुकान, बेटी बनी डीएसपी, बीपीएससी में हासिल की 116वीं रैंक, दादा-दादी के नहीं बने रिकॉर्ड

पूर्णिया. बिहार ही नहीं भारत भर में पूर्णिया का सबसे पुराना जिला है जिसकी वजह पूर्णिया की चर्चा दुनिया भर में होती है। वहीं पूर्णिया जिले के हरदा बाजार स्थित गांव के निवासी श्री बिनोद साह की बेटी भावना कुमारी अपने तीसरे प्रयास में BPSC पास कर ईसा बनी हैं। भावना के दादा श्री हरीश नारायण साहचर्य कहते हैं कि मेरी पोती खानदान की पहली पोती होगी जो आपके दादा का नाम रोशन कर रही है। बता दें कि कल बीपीएससी का रिजल्ट जारी हो गया है। बीपीएससी में पास हुए घोड़े में बहुत खुशी का अनुभव हो रहा है। लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं।

कहते हैं कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, यह कहावत है बीपीएससी पास कर बसासिआ पद के लिए गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। अपने तीसरे प्रयास में बीपीएससी की परीक्षा में 116वीं रैंक के लिए ओबीसी पद के लिए पूरे जिले का नाम रोशन नहीं किया गया।

असफलता पर ही सफलता
भावना कुमारी ने 18 से 18 घंटे की बातचीत में बताया कि वह पिछले दो प्रयासों में फिर से सफलता पाने के लिए लगातार 8 से 9 घंटे की रोजमर्रा की मेहनत करती रही, जिसे आज देखने को मिला। उन्होंने कहा कि लोगों को असफलताओं से डरना नहीं चाहिए और गहरे अध्ययन में असफलताओं के लिए सफलता का प्रयास करना चाहिए, तो निश्चित रूप से सफलता ही मिलती है।
भावना कुमारी के पिता श्री विनोद कुमार साहिया पूर्णिया के हरदा बाजार में मेडिकल की दुकान चलाते हैं। वहीं उनकी माता विना देवी गृहिणी हैं, उनके दादा श्री हरीश नारायण साहा ने कहा था कि उनके खानदान की यह पहली बेटी है, जो कि सरकारी सेवा बीपी कॉलेज में 116वा रैंक रैंक के पद पर अंकित है। साथ ही उनकी इस सफलता पर दादा और दादी के सामने 18 के कैमरे लगे हैं। हालाँकि, उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है, इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। वास्तव में, जब एक सामान्य और मध्यम वर्ग के परिवार से कोई बड़ी सफलता वाले लोग नहीं मिलते हैं तो निश्चित रूप से वह एक विशेष स्थान पर होता है जिसमें लोग खुशियों के फूलों को रोक नहीं पाते हैं।

गांव के लोगों में खुशी
वहीं उनके दादा-दादी, माता-पिता और चाचा-चाची स्थानीय मान्यता प्राप्त मूर्तिकार कुमार भारती समेत गांव के लोगों ने इस सफलता पर खुशी जताई और आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हालाँकि, गाँव के लोगों ने कहा कि उन विद्यार्थियों के लिए एक भावना की प्रेरणा बनी है जो एक दो बार ही यहाँ आकर अपनी बदली यात्रा पर निकलते हैं। बाज़ार का नाम ही नहीं बल्कि पूरे पूर्णिया जिले का नाम रोशन हुआ है।

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