उत्तर प्रदेश

बौद्धों के शहर में 1700 मकानों में आई पत्तियां, हजारों की जान हकीकत में, जानकर हो जाएंगे हैरान

आगरा. देश के ऐतिहासिक शहरों में शामिल और ऐतिहासिक शहरों में शामिल हैं स्मारकों के लिए स्मारक शहर इन दिनों एक अजीब से मुसीबत में फंस गया है। यहां के मोती कटरा और सैय्यद गली क्षेत्र के 1700 मकानों में अचानक से डरावने दिखाई देने वाले बगीचे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि जुलाई से ही उभरना शुरू हो गया था और वह तो भयानक रूप में नजर आ रही है. हर रात डर बना रहता है कि आउटडोर मकान गिरना जाए, कोई और परेशानी ना हो जाए। प्रशासन को इसके बारे में बताया गया है लेकिन अभी तक इस एजेंसी का कोई हल नहीं निकला है।

पुराने लोगों का कहना है कि आगरा के इस खास इलाके में 1700 घरों में बंगले आ गए हैं. वहीं, 146 मकानों को स्टॉक के लिए खड़ा किया गया है। इससे हजारों लोगों की जान दुनिया में फंस गई है। सबसे अधिक खतरनाक मोती कटरा और सैय्यद स्ट्रीट पेज पर है। आगरा कॉलेज से मनकामेश्वर मंदिर स्टेशन तक अंडरग्राउंड मेट्रो ट्रैक बनाया जा रहा है। यह सुरंग 2 किलोमीटर लंबी है। सुरंग बनाने के लिए 100 से 150 फीट गहरी खुदाई की गई है। अक्टूबर 2023 से इसे बनाने का काम शुरू हुआ था।

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मेट्रो रेल परियोजना ने पल्ला झाड़ा, कहा- कोई गड़बड़ी नहीं
जुलाई अगस्त महीने तक कुछ ही घर में दरार आ गई थी लेकिन धीरे-धीरे यह 1700 घर तक दिखने लगी। मोती कटरा और सैय्यद गली आस-पास हैं। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल परियोजना के पीआरओ पंचानन मिश्रा ने बताया कि यहां जो भी काम हो रहा है, वह मानक के आधार पर तय करता है और इससे कोई नुकसान नहीं हो सकता है। जिन घरों के लोगों ने शिकायत की है, उन घरों में पहले से ही टूटे हुए मकान और बहुत पुराने मकान हैं। उनकी मर्ममत करा दी गयी है.

अंडर ग्राउंड मेट्रो लाइन की लॉन्चिंग मशीन खराब हो गई
व्युत्पत्ति रेजिडेंट प्रियंका ने बताया कि हमारे घर के नीचे से अंडर ग्राउंड मेट्रो लाइन दिखाई गई है और इसके लिए जब मेट्रोज ने नाटक शुरू किया या कुछ भी शुरू किया तो इससे हमारे घर की नींव हिल गई और पूरे मकान में पता चल गया। दरवाज़ा नहीं छोड़ा गया, पूरा घर ही डीले की लाइन पर रखा गया है। कुछ दिनों के लिए हमें कहीं और घर जाने के लिए कहा गया था, लेकिन अब तो हमारा पूरा घर ही गिर सकता है, ऐसे में हम कहां जाएंगे?

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ऐसा लगता है कि घर बस लाने ही वाला है
संबंधित लोगों ने बताया कि मेट्रो के लोगों को हमारी कोई चिंता नहीं है। बेरोजगारी भत्ता अपना काम कर लिया, लेकिन हम सबका जीवन संकट में डाल दिया गया। यहां पुराने कृमि की संख्या बहुत अधिक है। बीच बीच में लोग अपने अपने मकानों के गोदामों को ठीक कर रहे हैं। यहां के कारीगरों ने स्पष्ट रूप से बताया कि हमारे कारीगरों में दरार आ गई है। रात में जब मेट्रो की ऑफर की गई मशीन चलती है तो ऐसा लगता है कि कहीं घर गिर न जाए। मेट्रो रेल परियोजना से जुड़े व्यक्ति निरीक्षण करने आते हैं लेकिन कोई भी अंतिम उत्तर नहीं देता है। मकानों के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी मेट्रो की खुदाई का काम रुका नहीं है।

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