
तमिल-आंध्र से आये थे मुलायम, मूक-बधिर बन गये थे चककर, मौका मिले…देखो फटी ही रह गए नए दोस्त
अपराध समाचार: विश्विद्यालय को अंतिम आदेश के लिए ये हजारों किश्तों की यात्रा कर बोल्टनबद्ध थे। बौद्ध मठ के बाद संयुक्त राष्ट्र की तलाश करें, जहां इंटीट्यूशंस-कॉलेज में पढ़ने वाले शिष्यों की पढ़ाई होगी। ये राक्षस के लिए सुपरमार्केट देना और फिर हर घर के दरवाजे को टटोलना शुरू करना। जिस घर का भी दरवाजा खुलता है, उस घर में मौजूद मोबाइल, लैपटॉप जैसे इलकेरानिक उपकरण में अपना हाथ साफ कर देते हैं।
इस बीच, इन दोनों को एक घर में घुसते देख लिया गया तो मूक-बधिर होने का ड्रामा शुरू हो गया। यह कभी-कभी कहता है कि दोनों मूक-बधिर छात्र स्कूल के छात्र हैं और कभी-कभी कहते हैं कि वह अनाथालय से आये हैं। यह दस्तावेजी दस्तावेज लोगों से दान में मिले हैं। लोगों को होने वाले हैं पुष्ट फर्म के लिए ये दोनों फार्मेसियों अपने पास मूक बधिर का पुष्ट फर्म भी रखे हुए थे। विश्व को लागू करने के बाद दोनों वापस तमिल और आंध्र प्रदेश चले गए थे।
इसके बाद वहां के बाजार में असली से चोरी का सामान बेहद सस्ते में बेच दिया गया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को साकेत के एशियाई बाजार के पास से गिरफ्तार कर लिया है। दोनों की पहचान 34 साल बलन और 28 साल पी कार्तिक के रूप में हुई है। पुलिस ने इनमें से 16 मोबाइल फोन, छह लैपटॉप और एक मोटरसाइकिल की चोरी बरामद की है। पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि बेरोजगारों पर प्रतिस्पर्धी कॉलेज के जोड़े ही होते थे।
पहले प्रकाशित : 5 दिसंबर, 2024, 19:04 IST