मध्यप्रदेश

एडवरटाइज में लगा है मस्जिद एक्सपो, कांजीवरम रोल हो सकता है नकली, ऐसे करें असली की पहचान

घर: गैंगवार का सीज़न शुरू हो चुका है। ऐसे में दुल्हा और दुल्हन ही नहीं बल्कि हर कोई खास किरदार चाहता है। इस खास लुक की चाहत बाजार में भी खली हो गई है. इसी तरह के डेवलपर के बास्केटबॉल कॉम्पलेक्स क्लब में संगीत एक्सपो का आयोजन किया गया है। इस एक्सपो में 60 से ज्यादा स्टाल्स पर बुनकरो ने अपनी गुड़िया का प्रदर्शन किया है।

बैंगलोर से आए अमित यहां कांजीवरम पर चढ़े हुए हैं। अनुमानित कीमत 5500 से 2.5 लाख रुपये तक है। इसमें चांदी और सोने का चलन है. छात्र हैं कि हैंडलूम का चलन कम हो गया है, क्योंकि बाजार में डुप्लीकेट है और असली कांजीवरम बहुत महंगा है। यह वही लोग हैं जो दिशानिर्देशित हैं, जो इसकी प्रकृति जानते हैं। कई बार तो लोगों से दोस्ती हो जाती है, उन्हें असलियत बता कर पेश किया जाता है।

ऐसे पहचानें असली कांजीवरम
ऐसे में अगर असली कांजीवरम को देखा जाए तो सबसे पहले जरी के कागज को तोड़े। धुरा अगर लाल रंग का है तो वह मालारी मोती है, जिस पर सिल्वर गोल्ड की कोटिंग होती है। अगर दूसरे रंग का धागा है तो वह असली जारी नहीं है. असली ज़री की बिक्री को फिर से शुरू किया जा सकता है। वैसे तो इंदौर में इसकी कोई दुकान नहीं है, लेकिन चेन्नई में जरी की पढ़ाई को बढ़ावा देना जरूरी है। मूल्यांकित मूल्य 10 अभिलेखीय कमियाँ हैं। यह रेयस भी नहीं है. आमतौर पर एक रोज़गार में 4 से 6 ग्राम सोने का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मैक्सिमम की कोई उपयोगिता नहीं है।

15 दिन में बेअर तैयार होना एक रोज़गार है
संयोजक जयेश कुमार गुप्ता ने बताया कि यहां छत्तीसगढ़ के मोहम्मद सलमान के वकील के पास बंबू डेमोक्रेसी मौजूद है। बैंबू को लेबलकर लोग बने रेशे और फिर गेज से इस रोजगार को बनाया जाता है, जो पूरे सालभर किसी भी सीजन में चुना जा सकता है। सदाबहार होने के साथ ही यह बेहद आरामदायक रोज़गार होता है। छत्तीसगढ़ के चापाचा क्षेत्र में बनाया गया है। एक कार्यान्वयन को बनाने की प्रक्रिया की बात करें तो करीब 6 चरणों में यह प्रक्रिया पूरी होती है और 15 दिनों में एक पूर्ण प्रक्रिया के बाद तैयार हो जाती है।

कश्मीर का पश्मीना वूलन भी बहुत गर्म होता है
वहीं कश्मीर के अमीर हुसैन पश्मीना वू लेकरन आए हैं। पश्मीना कड़वा पतला भी होता है, मोती ही गर्म भी होता है। इस बार वह ऐसी पश्मीना वूलन लेकर आईं, जिसके साथ वह ठीक वैसी ही मैचिंग भी दे रही हैं। कोलकाता के सौरव शांति निकेतन कांथा फूलों से लेकर खूबसूरत शान लेकर आए हैं। यहां 70 फ़ीसदी महिलाएं कांथा वर्कशॉप का काम करती हैं। इसके एक लग को बनने में कभी-कभी एक या एक से ज्यादा 2 साल भी लग जाते हैं।

इसके अलावा एक्सपो में पंजाब से सूट मटेरियल भी आया है, जिसमें जरी, आरी, पिज्जा, आटे के अलावा हाथ का सामान बनाने का काम किया गया है। जयपुर के स्टॉल पर वूलन और कॉटन के रेडीमेड वियर के अलावा कई अन्य तरीकों की वेडिंग और पार्टी वियर मौजूद हैं। वहीं, कलात्मक जूरी के स्टॉल भी लगाए गए हैं।

टैग: इंदौर समाचार, स्थानीय18, एमपी न्यूज़

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