मध्यप्रदेश

किसान बोएंगे आलू…निकलेगा ‘सोना’! इन सामानों पर होगी किस्मत, लाखों में बिकेगी एक करोड़ की किस्मत

सागर: आलू का राजा कहे जाने वाले आलू की खेती के मौसम में ही ऐसा होता है। दिसंबर में भी आलू की स्टारकास्ट की रिलीज़ हुई है। आलू का बंपर उत्पादन हो, तो इसके लिए किसानों को पहले दिन से ही काफी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन अगर किसान आलू का मुनाफ़ा दोगुना करना चाहते हैं तो कुछ खास आलू के आलू का चयन करें।

इसमें नीलकंठ कुफरी, काला आलू, लाल पहाड़ी आलू की खेती पर किस्मत खराब हो सकती है। आलू की ये आलू किसान को मालामाल कर सकते हैं. लाल, काले, नीले आलू की खेती में इतनी ही मेहनत और समय लगता है, जितना सामान्य आलू की खेती में लगता है। लेकिन, मूल की वजह से बाजार में कीमत दो से गुना तक ज्यादा मिल जाती है।

काले-नीले आलू के फायदे
सागर के युवा किसान आकाश वैष्णव ने बताया कि काला आलू मूल रूप से दक्षिणी अमेरिका में पाया जाने वाला कांड है। इसमें आयरन की अच्छी मात्रा और ओमेगा 3 भी पाया जाता है। सामान्य आलू की तरह इसे सब्जी, चिप्स या परांठे में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे ही नीलकंठ ब्लू आलू का हाल है। इसे रिसर्च सेंटर द्वारा तैयार किया गया है, जो कोल्ड चॉकलेट में पाया जाता है। लेकिन, लक्ष्मण सहित मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसकी खेती की जा रही है। इसके औषधीय गुण एंटी कैंसर होते हैं।

लाल आलू बेहद स्वादिष्ट
वहीं, पश्चिम बंगाल के जंगलों में पहाड़ी लाल आलू पाया जाने वाला कंद है। इस आलू के खाने से कोई परेशानी नहीं होती है. इसे शुगर फ्री आलू के रूप में भी जाना जाता है। इन तीन प्रकार के आलू की कीमत 60 से 100 रुपये किलो तक मिल जाती है। मछली की खेती करने में यह 95 दिन से लेकर 110 दिन में तैयार हो जाते हैं।

इतना आराम आराम से…
इनका उत्पाद 100 ओरियल से लेकर स्कूटर 200 ओवेरल तक होता है। 2 लाख से लेकर 3 लाख तक की स्टोरी में आलू की खेती से बड़ा आराम मिलता है। 800 किलों से लेकर 1000 किलों तक का बीज प्रति शेयर लगता है। इसमें 4 इंच की दूरी और 9 इंच की दूरी है। दो सीलबंद में यूक्रेनी निर्मित हो जाता है.

पहले प्रकाशित : 10 दिसंबर, 2024, 23:43 IST

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