मध्यप्रदेश

बालाघाट: सीईओ और सरपंच के बीच उचला कॉम्प्लेक्स का बंटवारा, दिग्गज ठेले पर दुकान लगाने को मजबूर, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

बालाघाट के ग्राम पंचायत परसा में 22 वर्ष पहले 22 वर्ष की आयु में छात्रावास का विघटन हुआ था। अफ़सोस का कहना है कि यहां पर वह दशकों से दुकान में बैठा था, लेकिन वह हमारी एक नहीं बैठी और हमारी कंपनी को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। उस समय हमें सौंपा गया था कि 6 महीने के अंदर नए कॉम्प्लेक्स बने रहेंगे, वहां पर उन्हें शिफ्ट कर दिया जाएगा। अब प्राइमरी साल बीतने के बावजूद भी हमें कॉम्प्लेक्स भी नहीं मिल रहा है।

पारस के रहने वाले निवासी राम नाथ बिठले ने बताया कि हमारी दुकान एक दिन की मोहलत की नोटिस पर टूट गई। अगले दिन तीन गोले की पुलिस को नष्ट कर दिया गया और हमारे टुकड़े टुकड़े कर दिए गए। पहले हमारी दुकान में फल के अलावा अंडे, पान और बेकरी का सामान भरा जाता था। लेकिन दुकान टूटने से अब ठेले पर दुकान लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। उनका कहना है कि परिवार में 6 लोग हैं. ऐसे में रोजी रोटी खाने से परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है।

रजनीश की कहानी एक दम अलग
रजनीश नागे ने बताया कि उनके पिता की दुकान 50 साल से लग रही थी। दुकान टूटने से टूट गए। ऐसे में कई दिनों तक वह अपनी दुकान के लिए संघर्ष कर रही थी। ऐसे में एक दिन हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। वहीं अब हम भी पक्के स्टोर से फ़्लोरिडा की दुकान पर चले गए। ऐसे में हमारा चार्टर प्रभावित हो रहा है। हम अपनी दुकान में सामान नहीं भर पा रहे हैं। डर लगता है कि दुकान से चोरी न हो जाये। उनकी मांग है कि बने बने कॉम्प्लेक्स को स्थानीय पार्टियों को दिया जाए। उन्होंने पूर्व मंत्री रामकिशोर नानू कावरे पर तानाशाही का आरोप लगाया है।

दुकान तोड़ने के पीछे बड़ी राजनीति
ग्राम पंचायत के पूर्व सचिव योगेश हिरवाने ने स्थानीय 18 को बताया कि पंचायत के पूर्व सचिव योगेश हिरवाने ने शाम से शाम तक एकल हस्ताक्षर पर ध्यान दिया। अगले दिन उनके टुकड़े टुकड़े कर दिये गये। इसके बाद योगेश हिरवणे के पास की ग्राम पंचायत खरपड़िया का आरोप है। कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए एजेंसी ग्राम परसवाइयों को छोड़ने के लिए पंचायत ग्राम खरपड़िया को एजेंसी बनाई गई। वहीं, कॉम्प्लेक्स के दूसरे फ्लोर से लेकर ग्राम पंचायत तक के कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल हो गई। इसके लिए हमें कई चक्कर लगाने पड़े। वहीं, बने हुए कॉम्प्लेक्स के एबटन के लिए भी एक समस्या आ रही है। इसके लिए जिला पंचायत सीईओ इसका वितरण करना चाहते हैं।

10 साल पुराने एलेक्जेंड्रा को बिना खंडित किए बनाया गया
बिजनेस यूनियन के उपाध्यक्ष सीरीश अवधिया का कहना है कि पुलिस फोर्स का इस्तेमाल पूर्व सचिव योगे हिरवानी और सीईओ ने 10 साल पहले बनाया कॉम्प्लेक्स को बिना डिसमेंटल घोषित किए तोड़ दिया था। यहां पर शौचालय भी बनाए गए थे, उनके भी टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए टुकड़े।

सीईओ ने केस शैले साधी
लोकल 18 ने इस मामले में जिला पंचायत के सीईओ रीता चौहान से उनकी पारिवारिक मुलाकात की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। सबसे पहले कि अरेबिक को बने बने कॉम्प्लेक्स कब मिलेंगे। इस पर उन्होंने कहा कि अभी शासन से 7 लाख रुपए बाकी हैं। इसके बाद तीन-चार दिन में ई-नीलामी के माध्यम से प्लॉक बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें कोई भी ले सकता है. फिर लोकल 18 ने पूछा कि ग्राम पंचायत परसा ने क्या नोटिस जारी किया, तो निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत खरपड़िया को क्यों दिया गया। इस प्रश्न का उन्होंने गोल मोल उत्तर दिया और नीचे दिया गया।

टैग: स्थानीय18

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *