मध्यप्रदेश

60 दिन में तैयारी, 4 महीने तक कमाई; इस फ़सल ने बदले दी गांव की तकदीर, हर किसान हुआ मंगलमाल!

सागर. सागर जिले में एक किसान के मेडिसिन ने पूरे गांव की किस्मत खराब कर दी है, जिसकी वजह से अब हर घर का किसान मालामाल हो रहा है। कभी आर्थिक तंगी से लेकर किसानों ने अब खुद की खरीद फरोख्त कर ली, कृषि उपकरण ले लिए, बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे, मकान पक्का कर लिया। इतना ही नहीं अब इस गांव के किसानों को देखकर, इलाके के अन्य किसान भी प्रेरित होकर फसल का रकबा बढ़ा रहे हैं।

सागर जिले का सबसे आखिरी गांव अटा टीला मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यहां पर भी पारंपरिक मसाला चना मसूर की खेती की जाती थी। लेकिन 10 साल पहले अटा टीला गांव के प्रभु सिंह ठाकुर ने सेम की खेती शुरू की थी। पहले ही साल उन्हें करीब एक लाख की पूछताछ हुई, इसके बाद गांव के किसानों को पता चला तो वे भी खेती करने लगें। 5 साल में ही गांव के सभी किसानों ने इसे अपना लिया है। गांव में करीब 300 एकड़ जमीन पर सेम रखी जा रही है। आसपास के 20 गांव में अब इसकी खेती होने लगी है।

करोड़ों में है बिक्री
किसान नौकर कुमार बताते हैं कि अगर किसी के पास चार पानी की व्यवस्था है तो 6 महीने तक यह किफायती मोबाइल है। भाव अच्छा मिल जाए तो 2 लाख से ज्यादा की असफलता है। ठीक-ठाक भाव रही तो 1 लाख मिलियन लाख तक का प्रोडक्शन हो जाता है। अधिक मात्रा में खेती का यह लाभ हुआ कि दिल्ली, नाऊन, बिजनेस, नागपुर को हम लोग सीधे माल भेज सकते हैं, या शेयर वाले भी आ सकते हैं।

60 दिन में तैयारी फिर 4 महीने तक कमाई
धनीराम यादव ने लिखा है कि इसमें रोग कम बताए गए हैं। तुषार टांग पर भी ज्यादा नुकसान नहीं होता। आटा चना से दो से चार गुना उद्यम है। यह फल 60 दिन में ही फल देता है फिर 4 महीने तक एटीएम की तरह पैसा डूबता रहता है।

कई राज्यों में उत्पाद हैं
सागर के उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कल आर डी कर्मचारी हैं, आज हर किसान की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बीजारोपण में नवाचार किया जा रहा है। जब से इलेक्ट्रॉनिक्स को महत्व दिया जा रहा है तब से इसके दूसरे उत्पादों में वृद्धि हुई है। इसमें उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं। वहीं किसानों को सेम की खेती और उन्नत तरीके से करणी ड्रेपिंग मल्चिंग की आवश्यकता है। हम मदद करेंगे, इसके अलावा प्रस्ताव भी देंगे सरकार को कुछ अनुदान मिल सके जिससे किसानों को फायदा हो।

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