
भोपाल वन मेला आदिवासी कला गुड़िया की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग, सैकड़ों परिवारों को मिल रहा रोजगार
भोपाल. मध्य प्रदेश का झाबुआ आदिवासी क्षेत्र की परंपरा के लिए जाना जाता है। वहीं अब यह क्षेत्र यहां के गुड्डे-गुड़िया के लिए दुनिया भर में अपनी पहचान बना रहा है। भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में लगे इंटरनेशनल फॉरेस्ट मॉल में इसका नजारा देखने को मिल रहा है। इसे बनाने वाले कलाकार राकेश परमार न केवल अच्छी नौकरी कर रहे हैं, बल्कि सैकड़ों परिवारों को रोजगार भी दे रहे हैं।
लोक 18 से बात करते हुए जबुआ क्षेत्र झाबुआ से आए राकेश परमार ने बताया, ‘मैं अपनी पत्नी के साथ साल 1986 से जनाब गुड्डे-गुड़िया बनाने का काम कर रहा हूं। हमें लगभग 38 साल से ज्यादा का समय चुकाना पड़ा है। ‘रामायती को पिछले साल 5 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में उनकी पत्नी के साथ पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।’ उन्होंने बताया कि किस देश में पहली बार ऐसा हुआ था, जब पति-पत्नी दोनों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
झाबुआ की गुड़िया देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी मशहूर है
वैसे तो कला के क्षेत्र में झाबुआ जिले की कई कलाकृतियों को प्रतिष्ठित किया जा चुका है, लेकिन हमें गुड्डे-गुड़िया और तीर-कमान निर्माण के क्षेत्र में पहली बार सम्मानित किया गया है। जदयू क्षेत्र झाबुआ की गुड़िया देश ही नहीं दुनिया के दस देशों में अपनी पहचान बनाई है। जेजेपी कला को प्रोमोट करने के साथ ही इसे रोजगार से जोड़ने का यह अनोखा उदाहरण देखने को मिला।
100 से अधिक परिवार को मिल रहा काम
रमेश छात्र हैं कि झाबुआ के करीब 100 परिवार इस कला से जुड़े हुए हैं और कला कार्यशाला के रूप में छोटे-छोटे काम कर रहे हैं। प्रदेश में यह अपनी तरह की एकलौती कला है। कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने भी सहयोग दिया। हस्तशिल्प विकास निगम के तहत इसे सहयोग दिया जा रहा है।
कला के क्षेत्र में मिला सम्मान
रमेश परमार और उनकी पत्नी शांति परमार को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका कहना है कि हम वर्तमान में प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूलों में बच्चों को भी इस कला के बारे में प्रशिक्षण के साथ प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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पहले प्रकाशित : 24 दिसंबर, 2024, 12:37 IST