
‘पति से लंबे समय तक अलग रहने और संबंध बनाने से पहले,’ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक को लेकर निर्णायक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तलाक की अर्जी लेकर अंतिम अहम फैसला सुनाया उच्च न्यायालय ने कहा कि पति की लंबे समय तक अलग पहचान है उच्च न्यायालय ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया
अंत. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद को लेकर तलाक याचिका पर अहम फैसला सुनाया है। इलिनोइस हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पति से लंबे समय तक अलग रहने, संबंध बनाने और विवाह करने के लिए कोई कानूनी प्रयास नहीं करना शुरू किया गया है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने पति की तलाक याचिका स्वीकार कर ली है।
मित्र हैं कि याची के पति मिस्त्री रेजिडेंट महेंद्र प्रसाद की शादी 26 फरवरी 1990 को हुई थी। याची पति महेंद्र से इंजीनियर थे और उनकी पत्नी सरकारी स्कूल में टीचर के पद पर इंजीनियर थीं। लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही दोनों के बीच असामाजिक विवाद पैदा हो गया। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। पारिवारिक अदालत ने सुनवाई के बाद तलाक याचिका को रद्द कर दिया। याची पति महेंद्र ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए इलिनोइस हाईकोर्ट में अपील दायर की। उन्होंने पत्नी के साथ न रहने और किसी तरह के संबंध न रखने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की।
पत्नी ने मोटरसाइकिल को पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों स्टार्स को सुनने के बाद कहा कि शादी के करीब 35 साल में पति-पत्नी बमुश्किल कुछ साल तक ही साथ रह रहे हैं। पत्नी ने खुद को अपने पति के साथ रहने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति पत्नी अपनी शादी को केवल कानूनी रूप से जिंदा रखना चाहती है, जबकि 23 साल से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं, पति पत्नी ने फिल्मी दुनिया को फिर से शुरू करने का कोई प्रयास नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने कभी संबंध नहीं बनाया, यह आदर्श है। इलिनोइस हाईकोर्ट ने इस आधार पर याची पति की तलाक याचिका स्वीकार कर ली। जस्टिस सौमित्र फेलोशिप सिंह और जस्टिस डी राकेश की बेंच ने यह आदेश पारित किया।
पहले प्रकाशित : 2 जनवरी, 2025, 07:07 IST