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झारखंड उच्च न्यायालय ने ईडी को सोरेन के हलफनामे का जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

झारखंड उच्च न्यायालय ने सोरेन के हलफनामे का जवाब देने के लिए ईडी को तीन सप्ताह का समय दिया

झारखंड उच्च न्यायालय
-फोटो : ANI

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झारखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुख्यमंत्री रसेल सोरेन के हाफनामे को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। बता दें कि, हेड ने ब्लास्ट ट्राइब और रेस्ट्रिक्ट जाति (अत्याचार चोट) अधिनियम के तहत एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ सीएम एलेवल्स सोरेन की तरफ से दर्ज किए गए दावे को रद्द करने का फैसला करते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

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एडी की कार्रवाई का उद्देश्य ‘आदिवासियों का अपमान’ था-सोरेन

सीएम रसेल सोरेन ने पिछले साल जनवरी में दिल्ली और रांची में अपने आवासों पर तालाबंदी के संबंध में सहायक अधिकारियों के खिलाफ एससी/एसटी थाने में मामला दर्ज किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य ‘आदिवासियों को अपमानित करना’ था। मामले की जांच अधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर पेश करने की बात कही थी।

एचडी के इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हैं मामला

मामले में सीएम माइकल सोरेन राज ने पीएचडी के अतिरिक्त निर्देशक कपिल, सहायक निदेशक देवरत झा, अनुमान कुमार, अमन पटेल ने कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कपिल राज और अन्य अधिकारियों ने उनके ख़िलाफ़ नोटिस जारी किए और आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया। हिलेरी सोरेन ने हाई कोर्ट में अधिकारियों की ओर से दिए गए हलफनामे का खंडन किया और दोषी ठहराया। डीएच ने सीएम रसेल सोरेन के हाफनामे का जवाब देने के लिए समय मांगा है।

‘मेरे-मेरे परिवार को मनोवैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक क्षति हुई’

अधिकारियों के अनुसार, इंजीनियर के सीएम सोरेन ने कहा, ‘मेरे परिवार के सदस्यों और मेरे द्वारा किए गए कार्यों के कारण बहुत अधिक मानसिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षति हुई है।’ बेल्ट जाति और जनजाति जनजाति (अत्याचार सेवा) अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज किया गया था। इनमें से किसी भी सदस्य के खिलाफ किसी भी जाति या जनजाति के खिलाफ किसी भी जाति या संप्रदाय से संबंधित आरोप शामिल हैं। ।।

एडी ने पिछले साल जनवरी में ली थी सोरेन के आवासीय क्षेत्र में

इन धारा में किसी भी आधारभूत जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य को सार्वजनिक रूप से जाति के नाम से या उनके विरोधी शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावना को बढ़ावा देने के लिए लिखित या भावनात्मक शब्दों का प्रयोग भी शामिल है, विशेष रूप से ‘किसी ऐसे व्यक्ति की तरफ से, जो श्रेणी या श्रेणी जनजाति का सदस्य न हो।’ बता दें कि, पिछले साल जनवरी में एचडी की एक टीम ने सोरेन के दिल्ली आवास की पाइपलाइन ली थी, जहां उन्होंने झारखंड में एक लैंड डील से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनसे पूछताछ करने के लिए लगभग 13 घंटे तक पोस्ट किया था। ।।

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