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दादा के सीख ने पोती को बनाया होनहार, देश की सबसे कठिन परीक्षा में पाई सफलता, अब उड़ेगी लड़ाकू विमान

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कहते हैं कि अगर लग्न के साथ मेहनत की जाए, तो सफलता आपके करीब ही आती है। ऐसी ही एक कहानी है बिहार की रहने वाली मुस्कान की, अपने दादा से सीखकर देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता पाई है।

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मुस्कान की सफलता से परिवार ही नहीं जिले के लोगों में भी है खुशी की लहर

पारा:- बिहार के ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां भी अब वैज्ञानिकों से किसी मामले में कम नहीं हैं। टीला जिले के रिविलगंज खंड के अंतर्गत गोदना निवासी मोनास्टिक्स कुमारी ने पहले ही प्रयास में देश की सर्वोच्च और सबसे कठिन एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफलता हासिल की है। हालाँकि मुस्कान आकाश में उड़ने का सपना बचपन से ही देखा था। जिस सपने को उन्होंने साक्षात् दर्शाया है। मुस्कान की शुरुआत एयरफोर्स में ही हुई थी, जिसमें उनके पिता के साथ बचपन का अनुभव था, जिससे वो काफी प्रभावित हुए थे। फादर के देशभक्त और जज्बे को देखकर, हवाई जहाज के नारे का सपना संजोकर मस्क अपनी तैयारी करने के लिए मालदीव, जिसका परिणाम सुखद मिला।

मस्को ने पहला ही प्रयास देश की सर्वोच्च और सबसे कठिन एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफलता हासिल की है। पिता सुमन गिरि साहा एयर फोर्स नासिक में जूनियर अधिकारी सह प्रशिक्षक के रूप में नौकर हैं, किशाेर देश के विभिन्न राज्यों में स्कार्ट होने के बावजूद भी उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी। बच्चों की पढ़ाई हैदराबाद, बेंगलुरु और नासिक से पूरी तरह से हुई। अलग-अलग राज्यों के होने के बावजूद सेंट्रल स्कूल एयरफोर्स में ही पढ़ने का मौका मिल रहा है।

स्कूल में भी टॉपर रोमान्स
इस सफलता को लेकर पिता सुमन कुमार गिरि ने बताया कि बेटी मुस्कान 10वीं की बोर्ड परीक्षा स्कूल एयरफोर्स अकादमी, हैदराबाद में स्कूल टॉपर बनी हुई है। जबकि इंटरनैशनल साइंस की परीक्षा डेवलपमेंट कांसेप्ट स्कूल हैदराबाद से है। वर्ष 2019 में मुस्लिम इंटर साइंस के वार्षिक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान के बाद हैदराबाद में स्थित जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी तरह से और इसके बाद विभिन्न बाजारों में शामिल होने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई। हालांकि दृढ़ निश्चय के साथ खुद पर भरोसा करते हुए एयरफोर्स अकादमी में एरोनॉटिकल इंजीनियर के पद पर 29 दिसंबर 2024 को योगदान दिया है। रिविलगंज स्थित गौतम ऋषि उच्च विद्यालय के पूर्व छात्र रह रहे हैं मेरे पिता सुरेश कुमार गिरि खुद की मूर्ति की बोर्ड परीक्षा में टॉपर रह चुके हैं। मुझे लगा कि मेरी बेटी भी अपने स्कूल में टॉपर रही है, जिस पर मुझे काफी भरोसा था।

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दादा के मूल मंत्र से मिली सफलता
मुस्कान ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि जब भी वह अपने गांव रिविलगंज नगर पंचायत के गोदना मठिया इलाके में जाती थी, तब दादाजी सह शिक्षाविद सुरेश कुमार गिरि से प्रेरणादायक कहानियां और बातें सुनी जाती थीं। बचपन में दादाजी ने मुझे किताबों के माध्यम से सफलता का मूल मंत्र दिया था। विशेष पुरुषों ने अपने जीवन में विश्वास किया, जिससे मुझे सफलता मिली।

दादाजी के मूल मंत्र से ही मुझे इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। मुस्कान सबसे पहले आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में स्थित एयरफोर्स अकादमी से लगभग छह महीने के शुरुआती स्तर की ट्रेनिंग पूरी तरह से आयोजित की गई। उनके एक साल बाद एयरफोर्स टेक्निकल कॉलेज में ट्रेनिंग सेंटर स्थित होने के बाद उनका एक विभाग अलग हो गया, जहां एरोनॉटिकल इंजीनियर ही रहते हैं। इसमें मुख्य रूप से लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर या जहाज़ जैसे विभाग होते हैं। इस सफलता की श्रेयस्कर मुस्कान आपके दादा, माता-पिता और गुरुजनों को मिलती है।

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