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बालाघाट में स्वतंत्रता मिशन की हवा-हवाई; कचरा गाड़ियाँ ही हो गईं कचरा! स्थानीय परेशान, जिम्मेदार क्यों हैं मौन?

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बालाघाट समाचार : बालाघाट नगरपालिका द्वारा आयोजित कचरा उठाने वाले टिपहिया वाहन अब खराब हो गए हैं। कंपनी ने कचरे के उठाव का दावा किया है, लेकिन शहर में कचरा उठाव की समस्या बनी हुई है। जानिए क्या है अखरोट की कैंची…

बालाघाट. भारत में 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी। इसके बाद देश भर में स्वतंत्रता की जागृति की गारंटी है। ऐसे में कई शहरों में सुधार तो हुआ लेकिन बालाघाट में कहीं भी स्वतंत्रता को पीछे छोड़ दिया गया है। इसी क्रम में बालाघाट महापालिका ने कचरा उठाव के लिए टिपहिया वाहन उदघाटन किया था। लेकिन अब वह खुद ही खराब हो गया। ऐसे में सभी कचरा गाड़ियाँ निजी भूमि में रखी गयी हैं।

24 हजार 700 का कचरा कैरिकेचर बना
फार्मास्युटिकल ने कंपनी से कचरा उठाव के लिए 20 रिक्शे उधार लिए थे। वहीं, अब तक सिर्फ 9 कूड़ा-करकट के चित्र लिखे गए हैं। इनमें से 8 कूड़ा कैरिकेचर सप्ताह भर में खराब हो गए। लगभग हर रिक्शे की चेन खराब हो गई। ये सारे रिक्शे वार्ड नंबर 11 के पीछे हनुमान मंदिर के पीछे सप्लायर अभिषेक पटेल की जमीन पर मिले।

खाली प्लॉट पर रखा गया है कचरा अभिलेख
वहीं, सप्लायर का कहना है कि ये सारा रिक्शे कवर ले लिया गया है। बताया गया है कि एक रिक्शे की कीमत 24 हजार 700 रुपये है। 5 लाख की कीमत के 20 रिक्शे बताए गए थे. उनमें से 9 कचरा गाड़ियों की आपूर्ति की गई थी। इनमें से 8 कचरा वाहन वार्ड क्रमांक 11 में सप्लायर के खाली प्लॉट पर पाया गया। सप्लायर अभिषेक पाटले का कहना है कि उनकी फर्म कटंगी में है।

संकरी ऑटोमोबाइल के लिए ये गाड़ियाँ जरूरी थीं
बालाघाट की संकरी गैलरी में चौपहिया कचरा वाहन नहीं जा रहे थे। ऐसे में उन संक्रान्ति स्तम्भों के लिए इन लिपि-चित्रों का प्रयोग किया गया। लेकिन अब कचरा वाहन खुद ही कचरा हो गया है। इस मामले में कंपनी का कहना है कि इस मामले में जांच की जाएगी। वहीं, मॅनेजिकल ने कचरा ग्राफिक्स का अब तक भुगतान नहीं किया है।

सरकारी अस्पताल के पास पानी के गोदाम के नीचे नगरपालिका का आधा हिस्सा से ज्यादा कचरा उठाव के वाहन कचरा खा रहे हैं। ऐसे में शहर भर से कूड़ा उठाने में कई समस्या आ रही है।

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13/03/25