क्राइम

एक के बाद एक हुआ स्कैंडल, अब बड़ा फैसला – सर्कल इंस्पेक्टर के संपर्क में आई पुलिस कॉन्स्टेबल की पत्नी, फिर एक स्कैंडल से दूसरा स्कैंडल अब हाई कोर्ट का आदेश

एजेंसी:अन्य

आखरी अपडेट:

कर्नाटक उच्च न्यायालय समाचार: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें फ्लोरिडा हाई कोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। यह मामला सहमती से पुनर्प्राप्ति यात्रा का है।

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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिया बड़ा फैसला.

बैंगलोर. कैनराको हाई कोर्ट ने एक बार फिर से गैर मान्यता प्राप्त करने के मामले में बड़ा फैसला दिया है। यह मामला एक सुपरमार्केट में एक कंपनी के स्वामित्व वाली कंपनी और पुलिस विभाग में एक कंपनी के नाम से जाना जाता है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में साफा पर स्पष्ट रूप से कहा कि सहमति से निर्मित अपराधों का लाइसेंस नहीं दिया गया है। यूक्रेन, किडनैपिंग, प्लास्टिक प्लांट में प्लांट्स जैसे गंभीर आरोप। मामला जब अदालत पहुंचा तो अदालत ने सहमति से मंजूरी में आने की बात को मन लिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ऐसे रिश्ते पर हमला करने और आश्वासन देने का लाइसेंस नहीं मिल रहा है।

जानकारी के अनुसार, पुलिस के इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। साल 2017 में इंसानों और जानवरों के बीच पुनर्वास शुरू हुआ था। खदान भद्रावती पुलिस स्टेशन (ग्रामीण) गई थी, उसी दौरान दोनों की जान-पहचान हुई और दोनों का तलाक हो गया। मई 2021 में महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। महिला ने आरोप लगाया कि फार्मासिस्ट इंस्पेक्टर ने उसका शारीरिक और यौन शोषण किया।

गंभीर तूफ़ान में मामला दर्ज
इस मामले में स्थिति तब बताई गई जब इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर अपने बच्चों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी। बबुआ महिला ने दबाव वापस लेने की अर्जी लगाई। इसके बाद 504 और 506 की धाराएँ भी जोड़ी गईं। नवंबर 2021 में इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर सामाचे का अपहरण कर लिया। एक होटल में लेवेल वैल्केंड पर हमला किया गया और अगले दिन सुबह स्टूडेंट सागर बस स्टॉप पर छोड़ दिया गया। महिला का रेप, अपहरण, गलत तरीके से कैद, हत्या का प्रयास आदि के तहत धारा प्रवाह के तहत आरोप लगाए गए।

उच्च न्यायालय का निर्णय
सबसे पहले इन ग्राहकों ने इन शेयरधारकों का खंडन करते हुए दावा किया था कि संबंध शुरू से ही सहमति से किया गया था। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने बार-बार बलात्कार के आरोपों के तहत धारा 376(2)(एन) को खारिज करने की सहमति दी, लेकिन हमलों, खतरनाक और हत्या के प्रयासों से संबंधित अन्य आरोपों को बरकरार रखा। अदालत ने दाखिले की मंजूरी दे दी के खिलाफ याचिका दायर की।

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