
सान्या मल्होत्रा की फिल्म ‘मिसेज’ पर टॉक्सिक फेमिनिज्म का आरोप, फैंस का बचाव
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सान्या मल्होत्रा की फिल्म ‘मिसेज’ को सराहा गया, लेकिन मेल ऑर्गनाइजेशन एसआईएफएफ ने इसपर टॉक्सिक फेमिनिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक फिल्म महिलाओं में गलत विचारधारा को बढ़ावा दे रही …और पढ़ें

सान्या मल्होत्रा की फिल्म मिसेज सुर्खियों में छाई हुई है.
नई दिल्ली. सान्या मल्होत्रा की हालिया फिल्म ‘मिसेज’ ने खूब सुर्खियां बटोरी है. एक्ट्रेस इस महिला प्रधान फिल्म में लीड रोल में नजर आई हैं. ‘मिसेज’ में सान्या के अभिनय को खूब सराहा गया है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी फिल्म की खूब चर्चा हो रही थी, लेकिन इन सबके बीच एक पुरुष संगठन ने फिल्म पर टॉक्सिक फेमिनिज्म को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं.
पुरुषों के हक के लिए आवाज उठाने वाली संगठन एसआईएफएफ (सेव इंडियन फैमिली फॉउंडेशन) ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि ये टॉक्सिक फेमिनिज्म को बढ़ावा देती है. एसआईएफएफ ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा, ‘पुरुष 8-9 घंटों तक रेलवे स्टेशन, कंस्ट्रक्शन साइट, पुलिस स्टेशन, फैक्ट्री आदि में काम करते हैं’.
वो अपने पोस्ट में आगे लिखते हैं, ‘एक खुशहाल युवा महिला को खाना बनाने, बर्तन धोने और कपड़े धोने और अपने ससुर जी की सेवा करने में प्रताड़ित महसूस हो रहा है. महिलाओं को लगता है कि काम करने की जगह का मतलब बस एसी लगे हुए ऑफिस होते हैं. वो कंस्ट्रक्शन साइट, रेलवे साइट पर काम करने को काम नहीं समझती हैं’.
यहां देखें पोस्ट
हम इस फिल्म का विरोध क्यों कर रहे हैं जिसे श्रीमती कहा जाता है?
नारीवादियों को एक साधारण आदत है। उदाहरण के लिए,
– वे 2 बच्चे के साथ एक महिला के लिए गुजारा भत्ता कानूनों की मांग करते हैं, जिसकी शादी 15 साल से है। लेकिन एक बार जब कानून बन जाता है, तो वे 6 महीने की शादी के साथ एक महिला के लिए गुजारा भत्ता के लिए एक ही कानून लागू करते हैं और कोई बच्चे नहीं होते हैं।
-… pic.twitter.com/4vync7l3l4– SIFF – सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (@realsiff) 15 फरवरी, 2025