
Tips for Healthy Ramadan Fasting: क्या डायबिटीज के मरीज रख सकते हैं रोजा, किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी? डॉक्टर ने दी जानकारी
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Tips for Healthy Ramadan Fasting: रमजान में डायबिटीज मरीज रोजा रख सकते हैं, लेकिन डॉक्टर से परामर्श जरूरी है. ब्लड शुगर की नियमित जांच, हाइड्रोजन और इंसुलिन मॉनिटरिंग से समस्याओं से बचा जा सकता है.

अगर इन बातों का रखें ध्यान तो रोजे में डायबिटीज नहीं करेगी परेशान
हाइलाइट्स
- डायबिटीज मरीज रोजा रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
- रोजा रखने से पहले ब्लड शुगर की जांच करें.
- डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करें.
स्वस्थ रमजान उपवास के लिए टिप्स: रमजान का पवित्र महीना 2 मार्च से शुरू हुआ है. इन 30 दिनों को बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस्लाम को मानने वाले सभी लोगों के लिए इस दौरान उपवास रखते हैं जिसे रोजा कहा जाता है. हालांकि पवित्र कुरान के अनुसार बीमार लोगों को उपवास करना जरूरी नहीं है. लेकिन कई लोग डायबिटीज होने पर भी पूरे महीने रोजा रखते हैं. वैसे तो शुगर की समस्या होने पर खाने-पीने के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए. लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर डायबिटीज के मरीज भी रोजा रख सकते हैं.
रमजान में रोजा कितने घंटे का होगा यह सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है. रोजे में सुबह की पहली किरण से लेकर सूरज डूबने तक कुछ भी नहीं खाया जाता है. खाने के बीच लंबा अंतराल शरीर के अंदर पाचन तंत्र में बदलाव ला सकता है जो डायबिटीज मरीजों के लिए समस्या पैदा कर सकता है. ऐसी समस्या से बचने के लिए डायबिटीज के मरीज अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डायबिटीज के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हामिद अशरफ ने बताया कि डायबिटीज वाले पेशेंट रमजान मे रोजा कैसे रोज रख सकते हैं.
क्या शुगर के मरीज रोजा रख सकते हैं?
जेएन मेडिकल कॉलेज के राजीव गांधी सेंटर फॉर डायबिटीज के डॉ हामिद अशरफ ने बताते हैं कि डायबिटीज पीड़ित शख्स भी रोजे रख सकते हैं, मगर इसके लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी है. ताकि स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर न पड़े. उपवास के दौरान शुगर के स्तर में काफी बदलाव आ जाता है. जिससे मरीज को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, यह अचानक ब्लड शुगर कम होने का संकेत होता है और मरीज बेहोश हो सकता है या सीजर हो सकता है. जिसका मतलब होता है कि खून में शुगर का अचानक बढ़ जाना जिससे कमजोरी, प्यास, सिर दर्द और नजर में धुंधलापन आ सकता है. इस समस्या को इंसुलिन की उचित मॉनिटरिंग करके स्थिति को संभाल जा सकता है.
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
रमजान के दौरान डायबिटीज के मरीज अगर रोजे रखे जा रहे हैं तो शुरुआत से पहले ब्लड शुगर की जांच जरूर करें. उपवास में डिहाइड्रेशन एक सामान्य और गंभीर जोखिम है जिसका सामना विशेष रूप से मधुमेह के रोगियों को करना पड़ता है. ऐसे में नींबू पानी, छाछ, नारियल का पानी, खरबूजे, कम चीनी वाले ताजे फलों का रस, गुलाब के शरबत का पर्याप्त सेवन करें. टाइप वन व टाइप टू मधुमेह रोगी अथवा जिन्हें निरंतर इंसुलिन लेने की जरूरत होती है, उनके लिए थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद अपने रक्त में ग्लूकोज की निगरानी करना जरूरी है. अगर मरीज का शुगर 70 से कम हो या 300 से अधिक पहुंच जाए तो उसे तुरंत रोजा खोल लेना चाहिए.
Aligarh,Uttar Pradesh
07 मार्च, 2025, 14:33 है
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.