
1980 में की थी शुरुआत, पर नहीं बन सका सुपरस्टार, फिर भी इस हीरो को नहीं पछातावा, अब किया कमबैक
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जुगल हंसराज को नादानियां में उनके अभिनय के लिए खूब सराहा गया. हमारे साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में, उन्होंने बॉलीवुड के करियर प्रोग्रेस, संघर्ष और टाइपकास्टिंग पर काबू पाने के बारे में जानकारी साझा की.

हाइलाइट्स
- जुगल हंसराज को नादानियां में उनकी भूमिका के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली
- उन्होंने निर्देशक शौना गौतम के अनुभव और दृष्टिकोण की प्रशंसा की
- हंसराज महामारी के बाद विभिन्न भूमिकाओं का आनंद ले रहे हैं, टाइपकास्ट से हटकर
नई दिल्लीः नेटफ्लिक्स फिल्म नादानियां में इब्राहिम अली खान के पिता का किरदार निभाने वाले अभिनेता जुगल हंसराज को अपने किरदार के लिए दर्शकों से शानदार प्रतिक्रियाएं मिली हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं नादानियाां के लिए अपने किरदार को मिली प्रतिक्रिया से बहुत खुश हूं. फिल्म समीक्षक और आम लोग मुझे मीठे संदेश भेज रहे हैं. मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं.’ अभिनेता ने इंडिया टुडे डिजिटल को बताया कि ‘इब्राहिम और मेरे साथ फिल्म का एक सीन बहुत अच्छा है. हर निश्चित रूप से, मैं इसके लिए अपने निर्देशक को श्रेय देना चाहूंग. उन्होंने उस सीन को अच्छी तरह से संभाला और इसलिए मुझे खुशी है कि मेरे सीन्स को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.’
नादानियां में निर्देशक संग बयां किया अनुभव
नादानियां के लिए हंसराज की एक्साइटमेंट न केवल रिएक्शन से बल्कि निर्देशक शौना गौतम के साथ काम करने के उनके अनुभव को लेकर भी है. हंसराज ने कहा, ‘वास्तव में मैं पहली बार जूम पर शौना से मिला था और उन्होंने मुझे कहानी के बारे में बताया. लेकिन मुझे किरदार बहुत पसंद आया, और मुझे वो पूरा पारिवारिक माहौल बहुत पसंद आया जो वो इब्राहिम के परिवार के साथ बना रही थीं.’ उन्होंने इंडस्ट्री में शौना की बड़े पैमाने पर तारीफ की और कहा, वो बहुत अनुभवी हैं. स्वतंत्र निर्देशक के रूप में यह उनकी पहली फिल्म है, लेकिन वो लंबे समय से इस क्षेत्र में हैं. वो राजू हिरानी और करण जौहर के साथ एसोसिएट डायरेक्टर थीं. मैंने एक अभिनेता के रूप में धर्मा के साथ कभी कोई फिल्म नहीं की है – यह उनके साथ मेरा पहला पेशेवर अभिनय असाइनमेंट है. यह एक और आकर्षक विशेषता थी, और मुझे फिल्म पर काम करने का एक शानदार अनुभव था.’
1980 के दशक में बाल कलाकार के रूप में की थी शुरुआत
मालूम हो कि 1980 के दशक में एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत करने वाले अभिनेता ने पिछले कुछ वर्षों में इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं. अपने करियर की प्रोग्रेस पर विचार करते हुए, हंसराज ने कहा, ‘उन दिनों, हर कोई टाइपकास्ट था. या तो आप एक्शन हीरो थे या रोमांटिक हीरो. कोई बीच का रास्ता नहीं था. या तो आप सुनील शेट्टी या अजय देवगन की तरह थे, या आप सैफ अली खान की तरह थे. रोमांटिक हीरो में भी दो तरह के होते थे- शरारती, चंचल किस्म के और शर्मीले, संकोची किस्म के. यह सब बहुत ही सीमित था.’ जुगल हंसराज ने अपने करियर की शुरुआत में कई फिल्में साइन कीं, लेकिन उनमें से कई कभी नहीं चलीं. मनमोहन देसाई और पहलाज निहलानी के साथ प्रोजेक्ट बंद हो गए, और पापा कहते हैं की सफलता के बावजूद, अन्य शुरू नहीं हुए. इन असफलताओं के बावजूद, हंसराज आशावादी बने रहे और उन्हें अपनी यात्रा पर कोई पछतावा नहीं है.
फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आते जुगल हंसराज
अभिनेता ने आगे कहा, ‘मैं फिल्म उद्योग से नहीं हूं इसलिए मुझे व्यवसाय में माता-पिता या चाचा जैसा कोई मार्गदर्शन नहीं मिला. मेरा परिवार बहुत ही साधारण था, और फिल्मी दुनिया मेरे लिए बिलकुल अजनबी थी. इसमें आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण था, और मैं चाहता था कि मैं इसके बारे में थोड़ा और समझदार होता. लेकिन फिर मैं खुद के प्रति ईमानदार था, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. कोई पछतावा नहीं. चीजों को देखने के दो तरीके हैं- आप जो नहीं हुआ उसके लिए पछतावा कर सकते हैं, या जो हुआ उसके लिए आभारी हो सकते हैं. मैं इसे सकारात्मक रूप से देखना पसंद करूंगा, और लोग जानते हैं कि मैं कौन हूं. मैं अभी भी काम कर रहा हूं.’