क्राइम

4 साल के सामान के साथ सो रही थी मां, अचानक… नकली पुलिस में मची गोदाम, 370 कैमरे गायब, और फिर…

दिल्ली पुलिस: दोपहर 3 बजे के करीब पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि मालदीव पुलिस हॉस्टल इलाके से चार साल में एक साजे का समझौता हो गया है। हमलावर पुलिस टीम के मालिक का कहना है कि वह अपने चार साल के साथियों के साथ रहता है। रात करीब नौ बजे वह अपने चार साल के सामान को अपने बगल में सुला कर खुद सो गई थी। जब उसकी आंख खुली तो उसकी प्रेमिका वहां से नदारत थी। आस पास तो बहुत मिला, लेकिन प्रतिष्ठान का कहीं पता नहीं चला।

अंतिम रूप से परेशान होकर उसने इस संबंध में पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी। मामले की पहचान को देखते हुए नोएडा थाना पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की। आस्थारे की तलाश के लिए रेस्टोरेंट रेस्टोरेंट के नेतृत्व सिद्धांतों में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें सभी में प्लास्टर होल्डर योगेश कुमार और सभी में प्लांटर प्लास्टरर सुरेश कुमार शामिल थे। आस्थाये की खोज के लिए पुलिस ने इलाके में लगाए गए स्टूडियो की तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने यहां करीब 370 कैमरे लगाए।

लंबे समय के बाद पुलिस को एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में एक संदिशा शेख के अवैध इलाके में देखा गया। हालाँकि अँधेरे के अँधेरे में इस शख़्स की पहचान नहीं हो पाती। जब सांताक्रूज की गति के साक्ष्य से इस शेख के टुकड़ों की विद्याओं का अवलोकन किया गया तो पता चला कि इस शेख के टुकड़ों ने साझे का स्मारक बनाया था और उसे लेकर चावड़ी बाजार होते हुए जामा मस्जिद की तरफ चला गया था। जामा मस्जिद से इस शेख ने बैटरी रिशा की और पार्टियो को लेकर नई अल्फ़ाज़्म मेटलेशन चला गया। इसके बाद, यह शाख स्थापना के साथ लापता हो गया।

यहां पुलिस की ओर से राहत की बात सिर्फ इतनी ही रही कि नई इंफाल रेलवे सर्टिफिकेट की साजी में इस साख दलाल का फेस क्लिनिक डॉक्युमेंटेशन के रूप में सामने आया है। जिसके बाद पुलिस ने इलाके के सभी मुखबिरों को एक्टिव कर दिया. लंबे समय तक अवशेषों के बाद पुलिस को सूचना मिली कि यह शेख ज्वालामुखी मंदिर के साथ गांधी पार्क में मौजूद है और वह जलद ही पुरानी मान्यता रेलवे मान्यता की ओर से बहाल हुआ है। यह साख गांठ वहां से निकल पता, इससे पहले पुलिस की टीम पहुंच गई और इस साख गांठ को हुकूमत में लेकर साथियों को सकुशल अपने कबाड़ में ले लिया गया।

अंकित मनोज कुमार के अनुसार, गिरफ्तार किए गए शेख के नाम की पहचान 53 साल के शेखू के रूप में हुई है। पूछताछ में पता चला कि वह मूल रूप से उत्तरी प्रदेश शामली का रहने वाला है। उसने सात सागरों से साली के कैटल के आरोप में जेल में बंद कर दिया था। जेल से रिहा होने के बाद जब वह घर पहुँचा, तो पता चला कि उसकी पत्नी ने उसे छुड़ा लिया है। इसके बाद, मित्रता और भीख माँगकर अपना गुजराता करने लगा। डेज दिनों उनके बेटे की मृत्यौ ट्रेन की पहली फिल्म में आने की वजह से हो गई थी।

मनोज कुमार मीना के अनुसार, इस मामले में नाबालिग सेखू ने बताया था कि वह साएथे का असली भीख बदमाश वाले गिरोह को भागने के इरादे से किया था। इसी इरादे से वह पुरानी रेलवे कंपनी स्टार्टअप से शुरू होने वाला था। वह अपने मंसूबों में सफल हुआ, इससे पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

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