मध्यप्रदेश

अफ़ग़ानिस्तान से भी बदतर एमपी के हालात, आईज़ाटरों वाली रिपोर्ट, नवजात शिशुओं की मौत में सबसे आगे

भोपालः मध्य प्रदेश के अस्पताल मृत्यु दर के मामले अफगानिस्तान से भी बदतर हैं। हालाँकि सरकार की तरफ से इसके बेहतरी के प्रयास किये जा रहे हैं। फिर भी इसकी रिपोर्ट में डेटा वाले आंकड़े सामने आए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यहां पैदा होने वाले हर 1000 बच्चों में से 43 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। इसमें अधिकारिक बच्चे के जन्म के 7 दिन के अंदर ही दम तोड़ दिया जाता है। जबकि औसत आयु की बात की जाए, तो एमपी के हालात यूपी से बेहतर हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत दर देश में सबसे ज्यादा है। शिशु मृत्यु दर मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति अफगानिस्तान से भी बदतर है। मध्य प्रदेश में प्रति 1000 बच्चे 43 है, जबकि अफगानिस्तान में यह 45 है। दूसरी ओर मिजोरम, नागालैंड, गोवा, खंड, स्टॉकहोम और केरल में यह 6 या उससे भी कम है। राज्यों की स्थिति जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की तरह है। ऐसे में मध्य प्रदेश में ये दरवाज़े होते हैं। कुपोषण की बात की जाए, तो मध्य प्रदेश भारत में सबसे अधिक कुपोषण वाला राज्य है। यहां सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं।

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मध्य प्रदेश में लाइफ एक्सपेंक्टेंसी की बात की जाए तो यहां के लोग औसतन 67.4 साल जीते हैं, जो देश में चौथे नंबर पर है। इसमें सबसे ज्यादा दिल्ली का किरदार है। यहां जीवन व्यय 75.8 है। उसके बाद केरल में 75, जम्मू-कश्मीर में 74.3, यूपी में 66 और सबसे कम छत्तीसगढ़ में 65.1 है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में नवजात शिशुओं की मौत का मामला बहुत आगे है, तो वहीं टेली-डेनसिटी का मामला बेहद पीछे है। मोबाइल रखने के मामले में एमपी और यूपी के हालात दुनिया के सबसे गरीब देश जैसे हैं।

शिशु मृत्यु दर का कारण क्या है?
शिशु मृत्यु दर की मुख्य वजहों पर नजरें टिक जाएं तो, समय से पहले प्रसव, संक्रमण, जन्म के पहले खून में ऑक्सीजन की कमी, शिशु और प्रसव से पहले ठीक समय पर इलाज नहीं मिलता। ऐसे प्रश्नों की वजह से शिशु मृत्यु दर जनसंख्या है। हालाँकि सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

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