उपचुनाव परिणाम 2024 भारत की जीत के कारण और भाजपा ने विधानसभा में कई सीटें खो दीं उत्तराखंड HP पंजाब – भारत हिंदी समाचार
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चुनाव परिणाम: सात राज्यों के 13 विधानसभा क्षेत्रों में विशाल के स्मारकों का विमोचन हो गया है। लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से इंडिया अलायंस का अवलोकन देखने को मिला। 13 प्राइमरी में से चार-चार कांग्रेस और क्लासिक कांग्रेस ने मुखर्जी बनाए हैं, जबकि दो प्रमुख बीजेपी के पास चले गए। वहीं, तमिल में इंडिया अलायंस की टीचर्स को एक सीट और पंजाब के जालंधर वेस्ट में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। बीजेपी ने एमपी और हिमाचल प्रदेश की एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। चार जून को असम चुनाव के नतीजों से भारत में एलायंस काफी गदगद हैं और अब एक महीने बाद विधानसभा चुनाव के बाद भारत में भी गठबंधन की टीम बीजेपी पर हावी हो रही है।
बीजेपी की हार के पीछे क्या कारण हैं?
देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में बीजेपी को दो पार्टियाँ पर हार का सामना करना पड़ा। अयोध्या के बाद बीजेपी एक और धार्मिक स्थल बद्रीनाथ हार गई। यहां कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बीजेपी के राजेंद्र भंडारी को पांच हजार से ज्यादा वोटों से हराया, जबकि उत्तराखंड की मंगलौर सीट भी कांग्रेस के कब्जे में है। विशाल के मिश्रण को देखने से साफ है कि चुनाव का असर अब भी देश में देखने को मिल रहा है। पोलिटिकल्स का मानना है कि जिस तरह के आम चुनाव के नतीजे आए थे, उन प्रॉडक्ट्स पार्टियों को काफी बढ़ावा मिला है। : … 400 पार का दावा करने वाली बीजेपी के लिए 240 पार पर रोक के बाद प्लास्टिक इंडिया गठबंधन के नेता फ्रंटफुट पर हैं। राहुल गांधी ने संसद में कुछ ही दिनों के भीतर गुजरात, यूपी, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का एक दौरा किया। इससे सम्मिलित कांग्रेसी ऑर्केस्ट्रा ऑर्केस्ट्रा में नई ताजगी आ गई है। पिछले दस साल में एक के बाद एक उम्मीदवार को भाग्य हो रहा था, वह ट्रेंड एक हीनोमिक चुनाव के सिद्धांत ने बदल दिया है। इसी कारण से माना जा रहा है कि विधानसभा में भी लोकसभा चुनाव का प्रभाव देखने को मिला। हिमाचल प्रदेश में उद्योग समूह ही समुद्र तट सीट में सफल रही हो, लेकिन देहरा, नालागढ़ में गिरावट दी गई है। यूपी में कांग्रेस और गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए उत्तर भारत में वापसी की उम्मीद जताई थी, वह उत्तराखंड और हिमाचल के स्मारकों के बाद भी शामिल हैं।
स्थानीय कारण भी बीजेपी के खिलाफ गए
कई राज्यों में स्थानीय कारण भी बीजेपी की हार के कारण बने हैं। उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर बीजेपी की हार के पीछे कई स्थानीय वजहें मानी जा रही हैं। ऑल वेदर रोड जैस डेवलपमेंट कोलेजियम, पुरोहितों की नारागजी भाजपा पर भारी पड़ी है। इसी तरह से उत्तराखंड में भी विकास परियोजनाओं के लिए पेड़ और जंगल काटे जाने के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी सेबीजेपी में आए शीतल अंगुराल को जनता की ओर से आमना-सामना करना पड़ा। जालंधर पश्चिम सीट पर शीतल आम आदमी पार्टी के विधायक थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी भी शामिल हो गई। एलएलसी से साफ है कि आप बीजेपी में शीतलहर की जनता को पसंद नहीं आए और उन्होंने आम आदमी पार्टी के आकर्षक मोहिंदर भगत को जीत दिलवा दी।
जहाँ सरकार थी, वहाँ उस पार्टी का बाज़ार था!
उत्तराखंड और बिहार को छोड़ दें तो बाकी सभी राज्यों में जिस दल की सरकार है, वहां उसकी चुनौती की जीत है। मध्य प्रदेश की अमर लहर विधानसभा सीट पर बीजेपी के कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस को करीबी गठबंधन में हरा दिया है। मध्य प्रदेश में अभी बीजेपी की सरकार है और यह राज्य लंबे अरसे से भगवा दल का गढ़ बना हुआ है। वहीं, पंजाब की परम साधारण वाली जालंधर वेस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी की जीत हुई है। यहां भी पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से ‘आप’ की सरकार है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने साफ सफाई कर दी है। यहां सभी दर्शनीय स्थलों की यात्रा की गई है। हालाँकि, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी कांग्रेस के दोनों पदों पर जीत हासिल हुई है। उधर, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार है और यहां की तीन बैठकों में कांग्रेस ने दो और बीजेपी ने एक पर जीत दर्ज की है. बिहार की बात करें तो रुपौली विधानसभा में प्रतियोगी उम्मीदवार शंकर सिंह ने नामांकन और नामांकन के दायरे को हराते हुए बड़ी जीत हासिल की।