मध्यप्रदेश

बारिश के मौसम में घट रही गाय-भैंस का दूध? तो करें ये उपाय, नुकसान नहीं होगा फायदा

भोपाल. बारिश के मौसम में इंसानों के साथ ही दरार के लिए भी कई तरह की झलकें सामने आती हैं। इसमें गाय-भैंस का दूध कम होना एक परेशानी और नुकसान के रूप में दिखता है। लेकिन इसके पशुपालकों को कई तरह के नुकसान उठाना पड़ रहा है। आज हम जानेंगे कि आखिर पशुपालक इस नुकसान से कैसे बच सकते हैं।

गर्मी में दूध के उत्पादन में बहुत कमी होती है
ठंड के मौसम को छोड़ दिया जाए तो गर्मी और बारिश के मौसम में कई तरह की छोटी-छोटी वजहों से गाय-भैंस के दूध उत्पादन में कमी आ जाती है। बारिश के मौसम में प्रयोगशाला की वजह से दूध उत्पादन में कमी देखने को मिलती है। जिस कारण पशुपालकों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है। एक तो बीमार पशु के इलाज पर होने वाला खर्च, दूसरी बीमारी के दूर उत्पादन में कमी के आने वाला नुकसान।

जानिए क्या है वेबसाइट की राय
जानवर के पालतू जानवरों की संख्या तो कुत्ते के ध्यान में थोड़ी सी सतर्कता के साथ इस तरह के नुकसान से बचा जा सकता है। निश्चय से यदि हम पशु शेड में साफ-सफाई का ध्यान रखें के साथ ही शेड की लेप भी समय पर रखें। क्योंकि अगर बारिश का पानी छाया रहेगा तो विभिन्न प्रकार के गुणों का खतरा बना रहेगा।

लोक 18 से बात करते हुए पशु डायनासोर के संयुक्त सचिव डॉ. अजय रामटेके ने बताया कि बारिश के दौरान यदि दांतों के पानी से पानी टपकता है या पानी जमा होता है, तो उससे होने वाली गंदगी कई तरह की बीमारियां लेकर आती है। बारिश का पानी गाय बफ़ेलो के चरणों में पड़े गोबर और मूत्र से मिलकर कई तरह की संभावनाओं को जन्म देता है। साथ ही यह गोबर व मूत्र में सामूहिक रूप से अमा गैस पैदा होती है, जिसका कारण कोक्सीडायओसिस भी होता है। सफ़ेद दाग में रहने के कारण घण्टों में श्वेतप्रदर में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे खुरपका रोग का भी डर बना रहता है।

वास्तविकता से पठथते हैं फोटोग्राफर
डॉ. अजय का कहना है कि कई जगहों पर देखा गया है कि बारिश के कारण समुद्र के पानी के कारण समुद्र के तलहटी में एक जैसी स्थिति बन जाती है, जिसमें कई तरह के चट्टानी पत्थर पाए जाते हैं। इन किताबों के कारण गंभीर खतरे का खतरा भी किसानों में बढ़ता जा रहा है। साथ ही पेट के कीड़े को भी कहते हैं कृमी, उनका भी बना रहता है खतरा. डॉक्टर का कहना है कि ऐसी स्थिति में बीच-बीच में बारिश शुरू हो जाती है और बारिश के अंत में अवश्य ही सूर्य की किरणें गिरनी चाहिए।

बारिश के मौसम में टिक खून चबाते हैं समुद्र का
वहीं बारिश के मौसम में गंदगी और अवशेषों के कारण समुद्र के किनारों में भी मछलियाँ होती हैं, जिससे टिक बड़ी ही तेजी से फैलती है। बारिश के मौसम में टिक पत्र का खून उगता है। जो कि अकेले समुद्र में बैल जैसी बीमारी फैलाती है और यही उनकी मौत का कारण भी बनती है। बारिश के साथ ही मच्छरों और जानवरों से मक्खी भी होती है, जिससे जानवरों को तनाव होता है और दूध का उत्पादन कम हो जाता है।

बारिश के मौसम में साकी के पेड़ों में सूजन आती है
अक्सर देखा जाता है कि बारिश के मौसम में दारू पेड़ों के निशानों में सूजन भी आ जाती है, इसका मुख्य कारण झील के बारे में जापान और जापान का पानी होता है। यह कई तरह के तनाव और बीमारी लेकर आता है, जिसके कारण दूध का उत्पादन तो काम ही होता है। साथ ही कई बार पशु दूध देना ही बंद कर देता है।

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