वडोदरा प्रदेश और 2 बिहार जहां पॉस्को केसों में तेजी से हुआ एकशन, मंत्री जी ने संसद को बताया
पो प्रायोजनो कानून 2012 निर्भया गैंग रेप के बाद बनाया गया था। सभी सहयोगियों में 2019 में मर्चेंडाइज पेशेल पो प्रॉस्पेक्टस कोर्ट बनाने का फैसला लिया गया।बज़ायतसभा में पो अलैहिस्सो कोर्ट में केसोन के संबंध में संबंधित जानकारी दी गई है।
नई दिल्ली. साल 2012 में सामने आए निर्भया कांड के बाद देश में बाल यौन अपराध पर रोक लगाने के लिए आरोपियों का कानून बनाया गया। इसके तहत अपराध को अंजाम देने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव रखा गया। नए कानून के तहत ही पोज़ियो केस की सुनवाई के लिए बाद में अलग-अलग प्रोफेशनल कोर्ट का भी गठन किया गया। भारत सरकार ने गुरुवार को समुद्र तट पर एक दस्तावेज के तहत कानूनी कार्रवाई के संबंध में जानकारी दी। बताया गया कि राजकोषीय जिलों की अदालतों में 78 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए, जबकि राजकोषीय जिलों की अदालतों में 68 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए। कोर्ट को बताया गया कि देश में ये वज्रपात 410 विशेष पॉक्सो हैं, जिसमें 2.99 लाख मामलों में से लगभग 1.6 लाख का भुगतान किया जा रहा है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा को एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत ने बच्चों पर यौन उत्पीड़न (पॉक्सो) अधिनियम के तहत 410 विशेष पॉक्सो अदालतों की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि 2019 में स्थापना के बाद से इन अदालतों में कुल 2,99,759 मामले दर्ज किए गए, जबकि 1,62,497 मामले दर्ज किए गए।
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वडोदरा प्रदेश-राजस्थान अव्वल…
उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश 74 विशेष पॉक्सो अदालतों में 90,822 मामलों का विवरण दिया गया है, जिनमें से 34,998 का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में 57 अदालतें हैं जहां 29,419 मामले हैं और 22,456 मामले लंबित हैं। मेघवाल ने कहा कि इसी तरह बिहार में 30,203 मामले दर्ज किये गये हैं, 11,798 मामले दर्ज किये गये हैं और राजस्थान में 14,938 मामले दर्ज किये गये हैं.
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पहले प्रकाशित : 25 जुलाई, 2024, 21:05 IST