एक किसान की महादान कहानी! मौत के बाद भी ऐसे अन्य स्थानों की जिंदगी, दिया ये खास मैसेज
भोपाल. राजधानी भोपाल में एक किसान की मौत के बाद कई लोगों की जान चली गई। केस बैसाखी हॉस्पिटल का है, जहां पर महेश नामदेव नामक किसान की मौत ब्रेन हैमरेज से होने के बाद उनके अवशेषों को दान कर दिया गया। फैमिली ने अस्पताल को आंखे और त्वचा छोड़ कर सभी कामों को दान करने की मंजूरी दे दी थी। प्रोटोटाइप से प्रोटोटाइप, पक्रियाज और ऑर्थोडॉक्स डायनासोर का प्रारंभिक दस्तावेजीकरण किया गया। मृतकों के सहयोगियों, दिग्गजों और सचेंद्र सहित बेटियों के प्रियजन ने मिल कर यह निर्णय लिया। पिता की मृत्यु के बाद जरूरतमंद लोगों ने उनके शरीर के अंगों को दान कर दिया।
अचानक हुआ ब्रेन हैमरेज
मृतक के बेटे सचेंद्र ने बताया कि उनके पिता की तबीयत में सुधार हुआ था। दार्शनिकों ने भी जल्द ही संविधान बनाने की बात कही थी. अचानक अचानक ब्रेन हैमरेज हो गया और पिता की मृत्यु हो गई। मौत के बाद सभी ने पिता के ऑपरेशन को लेकर अस्पताल में दान करने की बात कही। जिसके बाद अस्पताल के आशिकों ने मृतक के डॉक्टरों की जांच की और सलामत ऑपरेशन को तुरंत बैसाखी अस्पताल और चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इन बुनियादी बातों में शामिल किया गया अंग
किसान की मौत के बाद 3 जनवरी को बचा लिया गया। मृतकों की कब्रगाह, पेन्क्रिज़ और किडनी का दान किया गया है। अल्बानो ने दिल और लंग्स भी दान करने को कहा था। लेकिन खराब हो जाने की वजह से उन कामों को करने के लिए राखी नहीं भेजी गई। बाकी सामानों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए शहर में एक साथ तीन गोदाम बनाए गए। जिसके माध्यम से सिद्धांता अस्पताल से 4 मिनट में 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैसाख अस्पताल में लॉन्च किया गया और 13 मिनट में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिरायु अस्पताल में स्थित डॉयना अस्पताल को छोड़ दिया गया। इसके साथ ही पेंक्रियाज भी नहीं किया गया। लेकिन मरीज का पता न चलने के कारण वह ठीक नहीं हो सका।
पहले प्रकाशित : 27 जुलाई, 2024, 20:10 IST